बंद होते सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए स्पीति में अनोखी पहल

Wednesday, Jul 26, 2017 - 04:51 PM (IST)

कुल्लू (सुरेन्द्र): सरकारी स्कूलों की गिरती साख और लगातार सरकारी स्कूलों से प्राइवेट स्कूलों में पलायन करते बच्चे शिक्षा विभाग के लिए ही नहीं बल्कि प्रदेश सरकार के लिए भी चिंता का विषय बन चुका है। यह समस्या पूरे प्रदेश में दिन ब दिन बढ़ती जा रही है और यह शिक्षा विभाग के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। ऐसे वक्त में जिला लाहौल-स्पीति की स्पीति घाटी में बंद होते सरकारी स्कूलों को बचाने का अनूठा कदम शिक्षा विभाग के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है। स्पीति घाटी में सरकारी स्कूलों को बंद होने से बचाने के लिए एक अनूठा प्रयास किया गया है। स्पीति की तोद वैली के अंतर्गत आने वाली 4 पंचायतों में ग्रामीणों ने मिलकर सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए ग्राम सभा का आयोजन किया तथा इस ग्राम सभा में सरकारी स्कूलों को बंद होने से बचाने के लिए चर्चा की गई। 


6 प्राइमरी स्कूल छात्रों के अभाव में बंद
उल्लेखनीय है कि लाहौल में लगभग 6 प्राइमरी स्कूल छात्रों के अभाव में बंद हो चुके हैं और यह खबर जब स्पीति पहुंची तो स्पीति के कुछ जागरूक लोगों ने इसके लिए अपने स्तर पर प्रयास किया। इसी दौरान मई माह में स्थानीय युवाओं ने ग्राम सभा का आयोजन कर निर्णय लिया कि सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए सभी ग्रामीण कम से कम अपने एक बच्चे को सरकारी स्कूल में जरूर पढ़ाएं। रंगरीक सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य छेतन फुंचोग, रंगरीक गांव के निवासी तंडुप टशी और के.सी.सी. बैंक के निदेशक छेरिंग टशी ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि यह बात सही है कि इसी साल मई में रंगरीक गांव में ग्रामीणों की ग्राम सभा के माध्यम से सभी ने मिलकर फैसला किया कि अब से रंगरीक गांव के सभी ग्रामीण अपने परिवार से कम से कम एक बच्चे को सरकारी स्कूल में जरूर पढ़ाएंगे। इस दौरान ग्रामीणों ने निर्णय पर सहमति जताते हुए कहा कि यह सभी ग्रामीणों पर लागू हो और सभी इस पर अमल करें।


स्पीति की 4 पंचायतों का उठाया कदम असरदार
स्पीति की तोद वैली के अंतर्गत 4 पंचायतें आती हैं जिनमें ग्राम पंचायत खुरीक के अंतर्गत आने वाले 3 गांवों, ग्राम पंचायत किब्बर के अंतर्गत आने वाले 5 गांवों, ग्राम पंचायत हल के अंतर्गत आने वाले 3 गांवों और ग्राम पंचायत लोसर के अंतर्गत आने वाले 4 गांवों के ग्रामीणों द्वारा सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए अपने ही स्तर पर उठाया गया कदम कई मायनों में अनूठा और कारगर है। हालांकि किब्बर पंचायत में इस फरमान को थोड़ा लचीला रखा गया है। इस निर्णय के चलते आज इन पंचायतों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में कुछ हद तक छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है और जो लोग गरीब हैं उनके सारे ही बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं।