CID ने डेढ़ साल बाद ढूंढ निकाला मेदराम का कंकाल, जानिए क्या है मामला

Sunday, Sep 03, 2017 - 12:20 AM (IST)

शिमला: डेढ़ साल पहले ढली पंचायत क्षेत्र से लापता हुए मोहनपुर निवासी मेदराम का कंकाल तारापुर जंगल से बरामद हुआ है। सी.आई.डी. की क्राइम ब्रांच को केस की गुत्थी सुलझाने की दिशा में बड़ा सबूत हाथ लगा है। क्षत-विक्षत हालत में पत्थरों के बीच मिले इस शव को जांच एजैंसी ने अपने कब्जे में ले लिया है। मौका-ए-वारदात से मिले आधार कार्ड से ही मृतक की पहचान हुई है। वहीं मृतक के परिजन हत्या होने की आशंका जता रहे हैं लेकिन सी.आई.डी. पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही पुख्ता सबूतों के आधार पर कोई नया खुलासा करेगी।

शिमला पुलिस ने की थी मामले की जांच
शिमला पुलिस ने पहले इस मामले की जांच की थी। जिला की स्मार्ट पुलिस ने अपहरण का मामला तो दर्ज किया था लेकिन जांच के नाम पर प्रगति शून्य ही रही। गुडिय़ा प्रकरण के बाद पुलिस सिस्टम पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। सी.आई.डी. ने एक महीने में करीब 12 दफा तारापुर क्षेत्र का मुआयना किया। कमान खुद तेजतर्रार डी.आई.जी. क्राइम आसिफ जलाल ने संभाली। उन्होंने पूरे दल-बल के साथ पड़ताल की। चप्पा-चप्पा खोजा। हालात ने भी उनका साथ दिया और उन्होंने मेदराम के कंकाल को ढूंढ निकाला।

ऐसे मिला मेदराम का कंकाल
शनिवार को नेपाली मूल का एक व्यक्ति पाइप लाइन का काम कर रहा था तो पाइप तारापुर के जंगल के नाले में जा गिरी, वहां उसे पत्थरों के बीच शव दिखा। इसकी सूचना शुक्रवार को स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर शिमला पुलिस को दी गई लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। शाम होते-होते रिटायर आई.एफ.एस. एवं किसान सभा के अध्यक्ष डा. कुलदीप सिंह तंवर ने इसकी सूचना सी.आई.डी. के डी.आई.जी. जलाल को दी। उन्होंने रात को ही पुलिस कर्मियों को मौके पर तैनात किया। भारी बारिश के बीच रात को कार्रवाई नहीं हो पाई। शनिवार सुबह ही डी.आई.जी. खुद मौके पर पहुंचे। उन्होंने फोरैंसिक विशेषज्ञों को भी वहां बुलाया। उनके साथ डी.एस.पी. धनसुख दत्ता, इंस्पैक्टर वीरेंद्र चौहान, हैड कांस्टेबल उमेश दत्त शर्मा व लक्ष्मीकांत भी मौजूद रहे। 

तारापुर के जंगल में ही आ रही थी लोकेशन
जिस दिन मेदराम गुम हुआ था, उस दिन उसकी लोकेशन तारापुर के जंगल में ही आ रही थी। इस कारण सी.आई.डी. ने यहीं पर जांच-पड़ताल के लिए डेरा डाला था। प्रॉपर्टी डीलर का काम करने वाला यह 62 वर्षीय व्यक्ति पिछले साल 1 अप्रैल को लापता हुआ था। इस मामले को किसान सभा और बाद में मेदराम न्याय मंच ने प्रमुखता से उठाया। कई बार पुलिस ने जांच अधिकारी बदले। एस.पी. से लेकर पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव तक से मुलाकात की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब से न्याय मंच सड़क पर उतरा तब से मामले की जांच में तेजी आई। 

मौके पर यह सब हुआ बरामद
मौके पर पाया गया कि बरसाती नाले में शव पड़ा हुआ था जोकि कंकाल में तबदील हो चुका था। पैंट में बैल्ट लगी हुई थी। जेब में पर्स निकला, जिसमें 400 रुपए मिले। किसान क्रैडिट कार्ड, कमीज की जेब में आधार कार्ड, शव के नीचे मोबाइल, दवाइयों के पत्ते, टॉपी, जूते, व जुराब में पांव की हड्डियां भी मिली हैं। 

अपहरण के बाद मारकर फैंका गया नाले में : कुलदीप
किसान सभा के नेता कुलदीप तंवर ने आशंका जताई है कि मेदराम का पहले अपहरण किया गया। उसके बाद उसे मार कर नाले में फैंका गया। उसे मिट्टी से ढका गया ताकि उसे जंगली जानवर न खा सकें। उन्होंने सवाल उठाया कि मेदराम को 1 अप्रैल, 2016 को अंतिम बार बल्देयां बाजार से गुम्मा सड़क पर जाते हुए देखा गया तो वह तारापुर जंगल के नाले में कैसे पहुंचा? यदि शव खुले में होता तो पिछले डेढ़ साल तक इसे जानवरों ने क्यों नष्ट नहीं किया। सारे अवशेष एक ही स्थान पर तरतीब वार कैसे मिल गए?