इस सड़क पर जोखिम भरा सफर, हर मोड़ पर खतरा ही खतरा (Video)

Monday, Jun 18, 2018 - 01:47 PM (IST)

ऊना (सुरेंद्र): प्रदेश में अभी भी कई सड़कें ऐसी हैं जो खड्डों के रूप में बदल गई हैं। वर्षों से इन सड़कों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। विकास के दावों की पोल खोलती यह सड़कें जानलेवा साबित हो रही हैं। ऐसी ही महत्वूपर्ण सड़क भरवाईं- तलवाड़ा है जो 2 जिलों और 2 राज्यों को आपस में जोड़ती है। इसी सड़क पर उत्तर भारत का प्रसिद्व शक्तिपीठ माता चिंतपूर्णी मंदिर भी स्थित है। मंदिर में आने वाले असंख्य श्रद्वालुओं की सुविधा एवं पंजाब से हिमाचल आने वाले वाहनों के लिए चिंतपूर्णी में करीब 5 किलोमीटर लंबा बाईपास भी बनाया गया है। इस बाईपास से सैकड़ों श्रद्वालुओं के वाहनों की आवाजाही होती है परन्तु खड्ड में तबदील हुए इस बाईपास की दुर्दशा से हर कोई आहत तो हो रहा है साथ में प्रदेश की छवि पर भी बुरा बसर पड़ रहा है। 

32 किमी लंबी सड़क का बुरा हाल
यूं तो तलवाड़ा से लेकर चिंतपूर्णी तक की  करीब 32 किलोमीटर सड़क की स्थिति ही बदहाल है लेकिन सबसे खराब हालात बाईपास के हैं। इस सडक़ के दुरुस्त होने में अभी करीब 3 से 4 माह का और इंतजार करना पड़ सकता है। लोक निर्माण विभाग पैच वर्क तो कर रहा लेकिन कुछ स्थानों पर पैचवर्क भी पर्याप्त नहीं है।  विभाग ने चिंतपूर्णी से पक्का टियाला यानी ऊना जिला की सीमा तक 70 लाख रुपए की लागत से पैच वर्क का काम शुरू तो किया है, परन्तु उससे भी हालत बेहतर नहीं हो रहे हैं। 

ऊना-कांगड़ा जिला को जोड़ती है सड़क
भरवाईं से तलवाड़ा तक करीब 32 किलामीटर सड़क न केवल जिला ऊना और जिला कांगड़ा को आपस में जोड़ती है बल्कि यह 2 राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण सडक़ है। वर्षों से यह सड़क उपेक्षित है। यह सड़क चिंतपूर्णी और जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्रों की मुख्य लाइफलाइन भी है। शायद किसी भी सरकार की नजरेइनायत इस सड़क पर नहीं पड़ी है। तीखे मोड़-तंगहाल सड़क कई जगह से टूटी हुई है जिसे अब पैचवर्क के जरिए सही किया जा रहा है। अभी भी इस सड़क को दुरुस्त करने के लिए बड़ी कवायद की आवश्यकता है। 

जान हथेली पर
तलवाड़ा-चिंतपूर्णी महत्वपूर्ण सड़क पर गुजरने वाले वाहन चालकों और उनमें सवार लोगों की जान भी जोखिम में  होती है। इसी वजह यहां की पहाड़ियों पर मौजूद वह चीड़, बरगद और पीपल के वह पेड़ हैं जिनकी जड़ें निकल चुकी है। मिट्टी निकलने की वजह से पेड़ मानों हवा में लटके हुए हैं। हवा के झोंके कभी भी इन वयस्त सड़कों पर जोखिम का कारण बन सकते हैं। वर्षों पुराने पीपल के पेड़ों को बचाने की न तो कवायद है और न ही इनकी चपेट में आने की संभावनाओं को रोकने का कोई प्रयास हो रहा है। 

 

क्या कहता है विभाग ?
इस सड़क के जिला ऊना के भाग को संवारने के लिए अब लोक निर्माण विभाग ने शुरूआती कदमताल आरंभ की है। लोक निर्माण विभाग के एक्सियन एच.एल. शर्मा कहते हैं कि करीब साढ़े 15 किलामीटर सडक़ के हिस्से को सी.आर.एफ. के तहत पुर्ननिर्मित किया जाएगा। इस पर साढ़े 15 करोड़ रुपए की स्वीकृति सी.आर.एफ. से मिल गई है। बरसात के बाद भरवाईं से पक्का टियाला तक सड़क के निर्माण का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। इससे पहले टेंडर औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। 


 

kirti