चिंतपूर्णी में 35 हजार श्रद्धालुओं ने नवाया शीश, पुराना बस स्टैंड पार पहुंची लाइनें

Monday, May 29, 2017 - 03:18 PM (IST)

चिंतपूर्णी: उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता श्री चिंतपूर्णी में रविवार को 35 हजार के करीब श्रद्धालुओं ने माता की पावन पिंडी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त किया। श्रद्धालुओं की भीड़ शनिवार को ही देखने को मिल रही थी और देर रात तक यहां अधिकतर होटल व सराय भर चुकी थीं, जिसके चलते कई श्रद्धालुओं ने खुले में ही बिछौना लगाकर रात गुजारी। भीड़ को देखते हुए मन्दिर न्यास ने भी देर रात 2 बजे के करीब कपाट खोल दिए और उसी दौरान श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो गईं। देखते ही देखते सुबह 6 बजे के करीब दर्शनों को लगने वाली लाइनें पुराना बस स्टैंड पार पहुंच गई।


लाइनों में लगे श्रद्धालुओं को धूप में होना पड़ा खड़ा
ये कतारें दोपहर बाद होटल देवी श्री भोजनालय को पार कर चुकी थीं। इनकी भीड़ को देखते हुए खुद मन्दिर अधिकारी सरोज कुमारी ने मोर्चा संभाला और पुजारियों व सिक्योरिटी कर्मियों को शीघ्र भीड़ को कम करने के दिशा-निर्देश दिए। लाइनों में लगे श्रद्धालुओं को धूप में खड़ा होना पड़ा। एक बार फिर प्रशासन श्रद्धालुओं को सुविधा देने में नाकाम साबित हुआ। उनको धूप से बचाने के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किया था। मात्र पुराना बस स्टैंड पर ही मन्दिर न्यास ने टैंट लगवाकर खानापूर्ति की। श्रद्धालुओं को पेयजल के लिए समस्या से दो-चार होना पड़ा। मन्दिर द्वारा लुधियाना धर्मशाला के करीब रखा वाटर कूलर शोपीस बनकर रह गया है। श्रद्धालुओं को दुकानों से पानी की बोतलें खरीदनी पड़ीं। 


श्रद्धालुओं से पैसे लेकर करवाए जा रहे दर्शन
श्रद्धालुओं को पर्ची सिस्टम द्वारा मन्दिर भेजा जाता है, लेकिन कुछ दलाल शीघ्र दर्शन करवाने की एवज में कथित तौर पर श्रद्धालुओं से 500 से 1000 रुपए प्रति व्यक्ति लेकर सिक्योरिटी गार्डों की आंखों में धूल झोंककर श्रद्धालुओं को लाइनों में खड़ा कर देते हैं। बीते दिनों भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन मन्दिर प्रशासन है कि इन सबसे निपटने के लिए अभी योजना ही बना रहा है।


चिंतपूर्णी में जाम हुआ आम
चिंतपूर्णी में भीड़ के दिनों लगने वाला जाम आम हो गया है। रोजाना यहां हजारों श्रद्धालु माता के दर्शनों को पहुंचते हैं, लेकिन यहां की ट्रैफिक व्यवस्था की वजह श्रद्धालु को कई घंटे जाम में लगने को मजबूर होना पड़ता है। ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए प्रशासन आज तक कोई ठोस नीति नहीं बना पाया है। ट्रैफिक कर्मियों द्वारा श्रद्धालुओं की गाड़ियां तलवाड़ा बाईपास पर भेज दी जाती हैं, लेकिन उक्त रास्ते पर ये गाड़ियां क्यों भेज दी जाती हैं, इसका जवाब न स्थानीय जानते हैं और न श्रद्धालु। जहां कोई पार्किंग स्टैंड ही नहीं है। हालांकि मन्दिर न्यास द्वारा उक्त मार्ग पर पार्किंग को लेकर जमीन खरीद-फरोख्त की बात भी चली, लेकिन ये बातें फाइलों में ही धूल फांकती नजर आ रही हैं।