Chamba: ग्लैंडर्स बीमारी को लेकर पशु पालन विभाग अलर्ट, भोपाल भेजे 50 घोड़ों के ब्लड सैंपल
punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2025 - 05:00 PM (IST)
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चम्बा (रणवीर): प्रदेश के मंडी जिले में घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिलने के बाद चम्बा में पशु पालन विभाग अलर्ट हो गया है। चम्बा से 50 घोड़ों के ब्लड सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित लैब में भेजे गए हैं। बीमारी के उपचार के लिए जिलेभर में विभाग ने घोड़ों और खच्चरों के रक्त के सैंपल के लिए फील्ड स्टाफ को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
पशुपालन विभाग ने सभी घोड़ा पालकों को सैंपलिंग में सहयोग करने का आह्वान किया है ताकि अगर किसी घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी पाई जाती है तो उसका समाधान करने का प्रयास किया जाएगा। पशु पालन विभाग के मुताबिक हालांकि चम्बा में बीमारी के कोई लक्षण नहीं मिले हैं लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। यह एक वायरल बीमारी है और इसके वायरस का तोड़ अभी तक पशु चिकित्सक नहीं ढूंढ पाए हैं।
पशु पालन विभाग ने पशु पालकों को निर्देश दिए हैं कि यदि किसी घोड़े या खच्चर में बीमारी के लक्षण लगे तो उसे अन्य पशुओं से अलग रखें। इनका जूठा चारा और पानी किसी अन्य पशु से अलग रखें। उसका इलाज करने व देखरेख करने वाला भी अन्य पशुओं से अलग रहे। बार-बार हाथ धोकर साफ रखें। यह बीमारी जितनी गधे-घोड़ों के लिए घातक है, उतनी ही मानव शरीर के लिए घातक है। इससे पीड़ित व्यक्ति को हमेशा हल्का बुखार रहता है। बांझपन की शिकायत होती है। सबसे खतरनाक यह एक पशु से दूसरे पशु और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ग्लैंडर बीमारी एक वायरल बीमारी है। इसका वायरस बहुत खतरनाक है और अधिकतर समय जानलेवा साबित होता है।
ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण
घोड़े और इसकी प्रजाति के पशुओं के नाक-मुंह से लगातार पानी बहना, सांस लेने में दिक्कत होना, आंख और नाक से गंदा पानी बहने और शरीर में गांठ पड़ने जैसे लक्षण रोग ग्रस्त पशु में दिखाई देते हैं। इस रोग के संक्रमण से कम समय में ही पशु की मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका उपचार भी संभव नहीं है।
बीमारी से बचाव ही उपाय : मुंशी कपूर
उधर पशु पालन विभाग चम्बा के उपनिदेशक डा. मुंशी कपूर ने बताया कि मंडी जिले में घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिलने के बाद चम्बा से 50 घोड़ों के ब्लड सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे हैं। उन्होंने बताया कि इस वायरस का अभी तक कोई इलाज सामने नहीं आया है। बीमारी से बचाव का एक ही उपाय है कि पीड़ित जानवर की तुरंत पहचान हो और उसे दूर रखा जाए।