एक हाथ से देकर दूसरे से छीन रही केंद्र सरकार: राणा

Wednesday, Oct 30, 2019 - 04:00 PM (IST)

हमीरपुर: सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि वर्तमान केंद्र सरकार लोगों को अपने अंक गणित में उलझाने वाली सरकार के सिवाए कुछ नहीं है। जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि जनता को लूटने के लिए सरकार ने ऐसे-ऐसे फार्मूले याद किए हैं कि एक हाथ से देकर दूसरे से उससे ज्यादा छीना जा रहा है। पहले जनता से बैंकों में खाते खुलवाए और बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए। उसके बाद उज्ज्वल योजना में रसोई गैस चूल्हे देने का दांव चला। जब जनता को आस हुई कि सरकार अच्छे दिन ला रही है तो ऐसा घाव दिया कि जो न भर रहा है और दर्द ऐसी दे रहा है कि जनता कराह भी नहीं सकती। 

उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले ऐलान किया कि गैस सब्सिडी के लिए बैंक अकाऊंट जरूरी है। फिर घोषणा कर दी कि बैंक अकाऊंट में 5,000 रुपए से कम पैसे हुए तो बैंक साढ़े 300 रुपए काट लेगा। अगर बैंक अकाऊंट में 3,000 रुपए से ज्यादा हुआ तो गैस सब्सिडी नहीं मिलेगी। हालांकि इन योजनाओं पर अपनी ब्रांडिंग करने के लिए सरकार 10 हजार करोड़ रुपए भी फूंक दिए। उन्होंने कहा कि पैंतरेबाजी में माहिर सरकार बताए कि भाजपा के किस वैज्ञानिक ने ऐसा फार्मूला बनाया, जिसमें जनता को सब कुछ मिल रहा है लेकिन हाथ बिल्कुल खाली हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए ऐसा करना कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2014 से सरकार द्वारा केवल जुमले ही गुनगुनाए जा रहे हैं और जनता को हासिल कुछ नहीं हो रहा है। जब जनता पर ज्यादा बोझ पड़े तो पुराने फर्जी गड़े मुर्दे उखाड़कर जनता को गुमराह करने में लग जाते हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा व इसकी सरकार अपने झूठे फसाने सुना-सुनाकर ही अच्छे दिनों को लाने का मसौदा तैयार करती रहती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के झूठे वायदों के पुलिंदे को अब जनता भी धीरे-धीरे समझ रही है। राजेंद्र राणा ने चिंता जताई कि देश इस समय अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है जिसके लिए जिम्मेवार तो वर्तमान केंद्र सरकार है लेकिन उसकी भरपाई जनता की जेबों पर उनकी खून-पसीने की कमाई से की जा रही है जोकि सरकार के लिए शर्मसार करने वाली बात हैं। उन्होंने कहा कि अब भी समय है कि सरकार अपनी जिम्मेवारी का सही तरीके से निर्वहन करते हुए अपना राष्ट्रधर्म निभाएं। खोखली बातें करने की जगह एक जिम्मेवार व जबावदेह प्रशासक की भूमिका निभाए, ताकि जनता को लोकतांत्रिक व्यवस्था भरोसा बना रहे।

Ekta