करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में केंद्र ने जयराम सरकार से किया जवाब तलब

Saturday, Aug 11, 2018 - 09:49 AM (IST)

शिमला (प्रीति): करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में केंद्र ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। मामले पर केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय व सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय ने सरकार को नोटिस भेजा है। इस नोटिस के जरिए मंत्रालय ने सरकार से पूछा है कि करोड़ों की छात्रवृत्ति आखिरकार छात्रों को नहीं मिली तो कहां गई। मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों में सरकार से पिछले 5 वर्ष के बजट का रिकार्ड मांगा गया है। केंद्रीय जनजातीय मामले ने ट्राइबल स्कालरशिप का पिछला सारा रिकार्ड मांगा है जबकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एस.सी.एस.टी. और ओ.बी.सी. की छात्रवृत्ति का रिकार्ड सरकार से तलब किया है। दोनों मंत्रालयों ने स्पष्ट कहा है कि पिछले बजट का हिसाब दो, तभी आगे का बजट जारी किया जाएगा। 

सूत्रों की मानें तो इस घोटाले के बाद केंद्र सरकार हिमाचल का आगामी छात्रवृत्ति का बजट भी रोक सकती है। संबंधित मंत्रालय के अधिकारी फोन पर स्कॉलरशिप घोटाले मामले की अपडेट ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि हर सप्ताह मामले पर शिक्षा सचिव को फोन कर अधिकारी स्कॉलरशिप घोटाले की जांच पर अपटेड ले रहे हैं और इसकी रिपोर्ट भी सरकार को देने को कहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 5 वर्षों में पूर्व मैट्रिक स्कॉलरशिप व ट्राइबल स्कॉलरशिप में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। 5 वर्षों से ट्राइबल छात्रों को ट्राइबल स्कॉलरशिप नहीं मिली है जबकि विभाग के मुताबिक हर साल ये राशि बच्चों को जारी की गई है। 

दूसरी तरफ जांच में सामने आया है कि पूर्व मैट्रिक स्कॉलरशिप का बजट निजी संस्थानों ने हड़पा है। इन संस्थानों में अपात्र छात्रों के फर्जी दस्तावेज बनाए और उनके खाते में ये छात्रवृत्ति राशि डाली गई। सामने आया है कि एक मामले में तो एक परिवार की गैस सबसिडी किसी दूसरे के खाते में जा रही है। मामले पर शिक्षा सचिव डा. अरुण शर्मा का कहना है कि अभी मामले पर जांच रिपोर्ट आनी बाकि है। एक प्रिलमिनरी जांच रिपोर्ट है तो दूसरी जांच रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार की जा रही है। दोनों रिपोर्ट आने के बाद ही मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।  

खंगाला जा रहा है प्रदेश में बनाया गया 3 करोड़ 81 लाख की लागत से बना छात्रवृत्ति पोर्टल 
इस दौरान छात्रवृत्ति का पोर्टल खंगाला जा रहा है। इसके लिए विभाग एक्सपर्ट का सहयोग ले रहा है। केंद्र सरकार की परमिशन के बाद प्रदेश में 3 करोड़ 81 लाख की लागत यह पोर्टल बना था। यह पोर्टल वर्ष 2013 में बनाया था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब केंद्र का नैशनल पोर्टल था तो प्रदेश में अलग पोर्टल क्यूं बनाया गया। अब विभाग को शक है कि इस पोर्टल के माध्यम से भी छात्रों की आधार नंबर या उनके बैंक खाते लीक किए गए होंगे। 

Ekta