कोटखाई गैंगरेप केस: एक्शन में CBI, मौका-ए-वारदात पर पहुंची टीम

Monday, Jul 24, 2017 - 01:21 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश के कोटखाई गैंगरेप और मर्डर केस में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है।  इस पूरे मामले की जांच गुप्त तरीके से की जा रही है। जिसके लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं। मामले की जांच के लिए दो टीमे बनाई गई हैं। एक टीम शिमला और दूसरी कोटखाई में मौका-ए-वारदात पर जांच करेगी।

परिवार को था CBI का बेसब्री से इंतजार
गुड़िया का परिवार बेसब्री से सी.बी.आई. का इंतजार करता रहा। ‘पंजाब केसरी’ से बातचीत में गुड़िया के दादा ने कहा कि हम चाहते हैं कि गुड़िया को जल्द इंसाफ मिले और असली कातिल सलाखों के पीछे हों। बकौल दादा उनका पूरा परिवार रविवार को दिनभर सी.बी.आई. के आने की राह ताकता रहा लेकिन वह नहीं पहुंची। हालांकि इस मामले में सी.बी.आई. 1 रोज पहले ही एफ.आई.आर. दर्ज कर चुकी है। ऐसे में परिजनों को जल्द न्याय मिलने की आस बंध गई है। सी.बी.आई. द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज होने की सूचना पाकर उनमें कुछ उम्मीद बंधी।

सफाई के साथ घटना को दिया गया अंजाम
दरिंदों ने बड़ी ही सफाई से मासूम से गैंगरेप और उसकी हत्या की है। तभी तो पुलिस को पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए। यही वजह रही कि यह केस सी.बी.आई. को दिया गया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार नेपाली और गढ़वाली ने इतनी सफाई से कैसे मर्डर व गैंगरेप को अंजाम दिया? पुलिस लगातार 16 दिन तक इस गुत्थी को सुलझाने में जुटी रही लेकिन इस केस को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई। 


आशू को पुलिस कस्टडी में वापस लाने की उठने लगी मांग
गुड़िया मामले में जेल में बंद छठे आरोपी आशू को वापस पुलिस कस्टडी में लाने की मांग उठने लगी है। माकपा नेता राकेश सिंघा ने इस मामले में आई.ओ. की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आशू को भी अन्य 4 आरोपियों के साथ पुलिस कस्टडी में रखा जाना चाहिए। बता दें कि पुलिस ने बीते सोमवार को आशू को चुपचाप कोर्ट में पेश किया और पुलिस रिमांड मांगने की बजाय उसे जेल भेज दिया। 


समय पर जाग जाते तो न होती हिंसा
ठियोग की देवरीघाट पंचायत के प्रधान सुरेश वर्मा और ठियोग बी.डी.सी. अध्यक्ष मदन लाल ने आरोप लगाया कि प्रशासन की नाकामी से हालात बिगड़े हैं। उन्होंने कहा कि गुड़िया मर्डर केस में अब गाज डी.सी. शिमला पर गिरना बाकी है। यदि डी.सी. शिमला घटना के तुरंत बाद हरकत में आते तो हिंसा न होती और न ही सरकारी संपत्ति को नुकसान होता। उन्होंने कहा कि डी.सी. घटना के 2 हफ्ते बाद पीड़िता के घर जाते हैं और यदि यह कदम पहले ही उठा लिया होता तो शायद स्थितियां और होतीं।