हिमुडा के करोड़ों के घोटाले की सीबीआई से हो जांच: राणा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 18, 2020 - 05:30 PM (IST)

शिमला : हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व विधायक राजेंद्र राणा ने हिमुडा द्वारा कौड़ियों की जमीनें करोड़ों के भाव खरीद मामले में सरकार को फिर घेरा है। राणा ने हिमुडा द्वारा खरीदी गई जमीनों व टेंडरों में बड़े घोटाले की आशंका से टेंडरों में बड़ा गड़बड़झाला करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। 

उन्होंने कहा कि ऊना जिला के छेत्रा व देहरा के मरहेड़ा में हिमुडा द्वारा जो जमीनों की खरीद हुई है। विधानसभा में पटल पर जवाब आने के बाद सरकार के बयान से करोड़ों के घोटाले का शक पूरी तरह यकीन में बदल गया है। कर्जा लेकर खरीदी गई जमीनों में करोड़ों के इस घोटाले पर अब यह मामला सीबीआई को सौंपा जाना जरुरी हो गया है। ताकि यह खुलासा हो सके कि इस घोटाले में किन अधिकारियों ने किसकी शह पर बेखौफ होकर इस घोटाले को अंजाम दिया। उन्होंने खुलासा किया कि ऊना के छेत्रा क्षेत्र के खड्डों, नालों में खरीदी गई जमीन का बकाया भुगतान करने के लिए अब हिमुडा ने आनन-फानन मचा दी है और इस जल्दबाजी में हिमुडा फिर से शेष भुगतान के लिए लगातार हाथ-पैर मार रहा है। 

उन्होंने कहा कि अगर सरकार की तरफ से इस मामले में अधिकारियों को कोई शह और संरक्षण नहीं है तो सीबीआई जांच हो। जांच के बाद खुद ब खुद खुलासा हो जाएगा कि करोड़ों की जमीनी खरीदी डील में हिमुडा के किन-किन अधिकारियों की जेबें गर्म हुई हैं। विधानसभा पटल पर मामला आने के बाद अब समूचे हिमाचल में यह चर्चाएं आम हैं कि किस तरह हिमुडा ने इस जमीनी खरीद घोटाले को अंजाम देने के लिए किक बैक एरेजमेंट किए हैं जिसका पूरा खुलासा भी जांच के बाद हो जाएगा। 

उन्होंने कहा कि हैरानी यह है कि सरकार ने हिमुडा को 64 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ होने की बात कहकर एक तरह से सिस्टम को क्लीन चिट देते हुए समाज को गुमराह करने का प्रयास किया है। इसका खुलासा भी जांच के बाद हो जाएगा। अगर लाभ की बात सही है तो फिर हिमुडा मुनाफे के बावजूद कर्मचारियों की पगार के लिए व कर्जों के भुगतान के लिए परेशानी से क्यों जूझ रहा है। उन्होंने गंभीर आरोप जड़ते हुए कहा है कि प्रदेश की बाहरी कंपनी के एक बड़े व्यक्ति को हिमुडा पिछले कुछ समय से लाभ पहुंचाने की मंशा से टेंडरों में मनमर्जी की शर्तें भी लगा रहा है जो इस घोटाले को और पुख्ता कर रही है। प्री-फैब टेक्निक जो आरसीसी से काफी मंहगी है उसे हिमुडा के अपने व अन्य विभागों से मिलने वाले कामों में अनावश्यक तौर पर घुसाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

उन्होंने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि इस मामले में जो शिकायतें विजिलेंस को मिली हैं उन शिकायतों की जांच को प्रभावित करने में कौन लगा है सरकार को यह भी स्पष्ट करना होगा। समाज और सिस्टम को अब यह स्पष्ट पता चल चुका है कि इस मामले में किस से किसकी मिली भगत के चलते बाद में हिमुडा के टेंडरों की शर्तों में कैसे बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि हिमुडा ने डिमांड सर्वे किया था। इस डिमांड सर्वे में जिन-जिन क्षेत्रों से भारी तादाद में आवेदन आए थे उन-उन क्षेत्रों में जमीनें खरीदने का फैसला की भाजपा की पिछली सरकार ने लिया था लेकिन हैरत यह है कि ऊना से 30 किलोमीटर दूर खड्डों, नालों में जो कौड़ियों की जमीन करोड़ों के भाव खरीदी है उस पर फ्लैट बनाकर हिमुडा किसको बेचेगा? ठीक यही सूरत देहरा के समीप खरीदी गई जमीन की है। इसके अलावा नगरोटा में जो जमीन खरीदी गई है 

उसकी खरीद से पहले राजस्व एंट्री क्या थी यह भी सरकार को बताना होगा। बीते 2 वर्षों से उस जमीन का उपयोग हिमुडा क्यों नहीं कर पा रही है। इसकी जानकारी भी अब सरकार को ही देनी होगी। हिमुडा में चले भ्रष्टाचार के षडयंत्र की जांच विजिलेंस से हो। इसका अब विपक्ष व कांग्रेस पार्टी को कोई भरोसा नहीं है। क्योंकि हिमुडा में फैले इस भ्रष्टाचार को लेकर पहले से ही विजिलेंस के पास कई शिकायतें लंबित हैं। उनमें सरकार के दखल की चर्चाएं भी आम हैं। इसलिए अब सरकार अगर साफ-पाक है तो हिमुडा के जमीनी घोटाले की खरीदो फरोख्त व प्री-फैब के अब तक हुए सभी टेंडरों की जांच सीबीआई से करवाई जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिमुडा में कितने करोड़ का घोटाला हुआ है। इसका भी समय आने पर तथ्यों व सबूतों सहित खुलासा किया जाएगा।
 


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kirti

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