अवैध कब्जे हटाने का मामला : हाईकोर्ट ने भाखड़ा विस्थापितों को दी राहत

Wednesday, Mar 28, 2018 - 12:49 AM (IST)

बिलासपुर: भाखड़ा विस्थापितों के मामले को लेकर प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने प्रदेश सरकार को 2 माह में अवैध कब्जों को रैगुलर करने के लिए स्थायी नीति बनाए जाने के लिए आदेश पारित किए हैं। न्यायालय ने ये आदेश बिलासपुर बचाओ संघर्ष समिति की ओर से नूर बीबी व अन्य बनाम स्टेट के माध्यम से दायर की याचिका की सुनवाई करते हुए दिए हैं। न्यायालय के आदेश से भाखड़ा विस्थापितों को फिलहाल राहत मिल गई है। 

22 मार्च को उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
बिलासपुर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष तरुण टाडू ने बताया कि 22 मार्च को समिति की ओर से अवैध कब्जों में राहत दिए जाने को लेकर एक याचिका उच्च न्यायालय में दायर की थी। इसकी पहली पेशी 23 मार्च को हुई थी जबकि दूसरी पेशी 27 मार्च मंगलवार को उच्च न्यायालय में हुई, जिस पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने राज्य सरकार को विस्थापितों के अवैध कब्जों को लेकर 2 माह की अवधि में नीति बनाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि अब सरकार विस्थापितों के अवैध कब्जों को लेकर नीति बनाएगी। उन्होंने बताया कि कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के आदेशों के बाद 345 लोगों पर लटकी अवैध कब्जे हटाने की तलवार फिलहाल हट गई है।

भाखड़ा विस्थापितों ने देश की खातिर सब कुछ किया कुर्बान  
तरुण टाडू का कहना है कि बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापितों ने देश को रोशन करने की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान किया था और इसके बदले नए शहर में प्लॉट देकर उनका बसाव किया था। हालांकि ज्यादातर ऐसे विस्थापित हैं, जिन्होंने जलमग्र शहर में बीघों के हिसाब से जमीन छोड़ी है लेकिन सही तरीके से पुनर्वास नहीं हुआ। विस्थापितों को परिवार बढऩे पर मजबूरीवश अपने घर के आसपास कुछ दायरे में कब्जे करने पड़े। वर्षों से विस्थापितों पर अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। 

345 लोगों को जारी हुए थे नोटिस
बता दें कि पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से बिलासपुर शहर के अवैध कब्जों को हटाने के लिए जिला प्रशासन को आदेश जारी हुए थे। इसके बाद प्रशासन की ओर से नगर परिषद के माध्यम से अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई, जिसके तहत 345 लोगों को नोटिस जारी हुए हैं। अब 3 अप्रैल को प्रदेश उच्च न्यायालय में पेशी होगी। इस फैसले पर समिति के अध्यक्ष तरुण टाडू के साथ ही अधिवक्ता दौलत राम शर्मा, क्रांति कुमार, सुनील गुप्ता, कमलेंद्र कश्यप, अनिरुद्ध, सुरेंद्र गुप्ता, विनय शंकर, दीपक, अजय, सुरेंद्रपाल, राकेश, श्याम लाल, अमित गुप्ता व लोकेश आदि ने खुशी जाहिर की है। 

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