IIT Campus में निजी स्कूल खोलने का मामला: केंद्रीय मंत्री सहित 11 को लीगल नोटिस(Video)

Sunday, Nov 04, 2018 - 03:51 PM (IST)

मंडी (नीरज): आईआईटी मंडी ने संस्थान में खोले गए नीजि स्कूल की जानकारी आरटीआई में देने से तो इनकार कर दिया लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में 21 दिनों के भीतर जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डा. दिनेश रत्न भारद्वाज ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सचिव आर. सुब्रामण्यम, आईआईटी मंडी के डायरेक्टर प्रो. टीमोथी ए.गोंजाल्विस, बीओजी के चेयरमैन सुबोध भार्गव सहित 11 लोगों को लीगल नोटिस भेजकर 21 दिनों के भीतर जबाव मांगा है। भेजे गए लीगल नोटिस में पूछा गया है कि किसकी अनुमति से आईआईटी ने अपने कैंपस के एक भवन में माईंड ट्री नाम से प्राईवेट स्कूल खोला, जबकि केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत यहां सिर्फ केंद्रीय विद्यालय ही खोला जा सकता है। 


इसमें यह भी लिखा गया है कि आईआईटी मंडी का प्रबंधन भारत सरकार को धोखे में रखकर मनमाने ढंग से काम कर रहा है। यदि इस संदर्भ में 21 दिनों में कोई जबाव नहीं आया या संतोषजनक जबाव नहीं मिला तो फिर आईआईटी के खिलाफ केंद्र सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला चलाया जाएगा। बता दें कि इस मामले को संस्थान के ही एक कर्मचारी एवं आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने उठाया था। सुजीत स्वामी ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी किन प्रावधानों के तहत आईआईटी में प्राईवेट स्कूल खोला गया और इसका क्या लाभ संस्थान को मिल रहा है। आईआईटी मंडी ने जबाव में कहा था कि इस प्रकार की कोई जानकारी उनके पास मौजूद नहीं है। सुजीत स्वामी ने खुशी जताई कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने इस मामले को उठाया है और अब आईआईटी को इसपर जबाव देना होगा। 

उन्होंने कहा कि अगर आईआईटी आरटीआई में जबाव दे देती तो शायद उन्हें कोर्ट के पास जबाव दायर नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि प्रबंधन की जिद्द के कारण आज प्रतिष्ठित संस्थान का नाम देश भर में बदनाम हो रहा है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में सर्कुलर जारी करके कहा था कि आईआईटी संस्थान के परिसर में कोई भी प्राईवेट स्कूल नहीं खोला जा सकता। यदि खोला गया है तो उसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए। लेकिन आईआईटी मंडी ने इन आदेशों के बाद भी अप्रैल 2017 में यहां माईंड ट्री नाम से एक प्राईवेट स्कूल खोल दिया। आईआईटी ने करोड़ों की लागत से बने भवन को स्कूल को बीना किराए के दे रखा है और यहां पर कर्मचारियों के परिजन ही अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। प्राइवेट स्कूल में मोटी फीस वसूली जाती है जिसका लाभ स्थानीय लोगों को नहीं मिल पा रहा है जबकि केंद्रीय विद्यालय का लाभ सभी को मिलना था। अब यह मामला तूल पकड़ चुका है और केंद्र सरकार से लेकर आईआईटी प्रबंधन तक को अब इसपर अपनी चुप्पी तोड़नी ही पड़ेगी। 
 
 

Ekta