सीएम ने कहा - 2022 तक कृषि उत्पाद व किसानों की आय 2 गुना बढ़ सकती है

Monday, Jan 29, 2018 - 03:53 PM (IST)

कांगड़ा(सन्जीव): मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ कृषि विश्वविद्यालय  परिसर में शून्य बजट प्राकृतिक कृषि केंद्र की नींव रखी। इसके साथ उन्होंने पशु चिकित्सा अन्वेषण, पशु प्रयोगशाला के पशु चिकित्सा, पशु विज्ञान संस्थान (सीओओएएस) में अनुसंधान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री, किशन कपूर, शहरी विकास मंत्री, सरवीन चौधरी, कृषि मंत्री राम लाल मार्कडे, स्वास्थ्य मंत्री, विपिन परमार, उद्योग मंत्री विक्रम सिंह उपस्थित थे। इस अवसर पर विधायकों, आशीष बुटेल, बिक्रम जरियाल, मुल्ख राज प्रेमी, रवी धीमान भी उपस्थित थे।

हमारी आबादी का 90 प्रतिशत कृषि पर निर्भर
कृषि विश्वविद्यालय के सीएम ने अपने समबोधन मे कहा कि विश्वविद्यालय राज्य में कृषि और पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के क्षेत्र में जरूरत आधारित अनुसंधान के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित 13 अनुसंधान स्टेशनों और 8 कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ, कृषि विश्वविद्यालय पूरी तरह से प्रशिक्षण के बाद किसानों की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रहा है। साथ ही कृषिविदों को अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार करने में सहायता करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतियों को तैयार करते समय अनुसंधान और विकास के विभिन्न पहलुओं पर सामाजिक-आर्थिक अध्ययन नीति निर्माताओं द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए। जैसा की हमारी आबादी 90 % कृषि पर निर्भर है।

किसानों की आय दो गुना बढ़ सकती है
किसानों को कृषि कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर जोड़ा जाना चाहिए और कृषि समुदाय को जीरो बजट प्राकृतिक खेती से बहुत फायदा होगा । प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए। उन्होंने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण का पालन करना है ताकि 2022 तक कृषि उत्पाद और हिमाचल प्रदेश के किसानों की आय दो गुना बढ़ सकती है। हालांकि यह कार्य थोड़ा मुश्किल लगता है, फिर भी हम इसे एक बड़े पैमाने पर प्राप्त करने के लिए निर्धारित हैं। उन्होंने जैविक खेती में नेतृत्व लेने के लिए सिक्किम राज्य के प्रयासों की सराहना की । कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने वैज्ञानिकों से शून्य लागत प्राकृतिक खेती के प्रचार और प्रसार में भरपूर योगदान देने का आह्वान किया राज्यपाल ने कहा कि रसायनिक और जैविक खेती दोनों आर्थिक रूप से किसानों के लिए लाभदायक नहीं है।

प्राकृतिक खेती से गांव का पैसा गांव में रहेगा
वही रसायनिक उत्पादों के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं और लोग अनेक तरह की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। वही जैविक खेती के लिए भी किसानों को काफी पैसा खर्च करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती से गांव का पैसा गांव में रहेगा और शहर का पैसा भी गांव में आएगा। वही इससे सड़कों पर लगातार बढ़ रही आवारा गांव की संख्या भी कम होगी। इस विधि की खेती में देसी गाय लाभदायक रहती है और एक गाय से 30 एकड़ खेती 30 एकड़ भूमि में खेती की जा सकती है।