शिमला की वादियों में बौद्ध की धूम

Monday, Jun 25, 2018 - 04:44 PM (IST)

शिमला : हिमालय के द्रुकपावंश द्वारा आयोजित प्रसिद्ध दो दिवसीय हेमिस महोत्सव का समापन आज हेमिस मोनेस्ट्री में हुआ। आठवीं सदी के भारतीय संत गुरु पद्मसंभव के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में इसमहोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिन्होंने हिमालय में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परम पूज्य ग्यालवांग द्रुकपा के आध्यात्मिक प्रतिनिधि महामहिम द्रुकपा थुकसे रिनोपचे प्रतिभागियों को आर्शीवाद देने के लिए महोत्सव में मौजूद थे।

महोत्सव का आयोजन हर वर्ष हेमिस मोनेस्ट्री में किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण हिस्सा लेते हैं। हाल ही के वर्षों में यह महोत्सव देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों, यात्रियों,भक्तगणों एवं बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आकर्षण केन्द्र बन गया है। महोत्सव के पहले दिन द्रुकपा वंश के भिक्षुओं ने प्राचीन मास्क नृत्य ‘चैम्स’ पर परफोर्म किया, यहनृत्य द्रुकपा बौद्ध धर्म से जुड़ी कथा गायन केसाथ ड्रम, सींग, झांझ की धुनों पर किया जाताहै। ‘चैम्स’ की सीरीज़ के माध्यम से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रदर्शन किया गया, जो महोत्सव का केन्द्रीय विषय था, जिसकी गूंज आज विश्व भर में फैली है।

महामहिम द्रुकपा थुकसे रिनोपचे, महामहिमखमद्राक रिनपोचे जिग्मे सांगपो,तेंजिन वांगपो,एडवाइजर एवं चेयरपर्सन नरोपा महोत्सव 2018 ने इसी साल सितम्बर में महोत्सव का आधिकारिक ऐलान किया था। नरोपा महोत्सव 11 वीं सदी के भारतीय संत नारोपा सहस्त्राब्दी जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। इस साल नरोपा वंश से ऐसे पवित्र अवशेषों को प्रदर्शितकिया गया, जिन्हें इससे पहले आगंतुकों के समक्ष कभी प्रस्तुत नहीं किया गया था।

 

kirti