रोशनी की आखिरी उम्मीद भी टूटी, अंधेरे में डूबा बर्फीला रेगिस्तान

Sunday, Feb 05, 2017 - 10:44 PM (IST)

उदयपुर: भारत-चीन अधिकृत तिब्बत की सीमा से सटे बर्फीले रेगिस्तान स्पीति को जगमगाने की आखिरी उम्मीद टूट गई है। राज्य सरकार के भरसक प्रयासों के बावजूद रोंगटोंग पावर प्रोजैक्ट बंद हो गया है। प्रोजैक्ट की आखिरी टरबाइन की फाऊंडेशन ध्वस्त हो जाने से जनजातीय स्पीति उपमंडल अंधेरे में डूब गया है। इससे राज्य सरकार को जहां करोड़ों का चूना लगा है, वहीं बिजली के बिना अंधेरे में जी रहे लोगों के गुस्से का लावा अधिकारियों पर फूटने लग पड़ा है। बर्फ में घिरे रोंगटोंग पावर प्रोजैक्ट के अधिकारियों को कई तरह के पत्र मिल रहे हैं। प्रोजैक्ट को आग के हवाले करने संबंधी पत्र भी अधिकारियों को मिले हैं। जनजातीय क्षेत्र में डरे-सहमे रोंगटोंग पावर प्रोजैक्ट के अधिकारियों ने मामले की पुष्टि की है। 

3 टरबाइनें पहले ही नाकाम
बता दें कि स्पीति में लबे समय से हांफते रहे रोगटोंग पावर प्रोजैक्ट की रेनोवेशन पर राज्य सरकार द्वारा बीते कुछ सालों के दौरान करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके लिए कोलकाता की एक ऐपे नामक कंपनी से अनुबंध किया गया है। रेनोवेशन पर करोड़ों रुपए फूंकने के बाद भी प्रोजैक्ट में 3 टरबाइनें बिजली पैदा करने में नाकाम साबित हुई हैं। कुल 4 में से आखिरी टरबाइन के सहारे बिजली आपूर्ति बहाल रखने के प्रयास राज्य विद्युत परिषद के जनरेशन विंग द्वारा किए जा रहे थे लेकिन आखिरी टरबाइन की फाऊंडेशन क्षतिग्रस्त हो जाने से प्रोजैक्ट पूरी तरह से बंद हो गया है।

करोड़ों खर्चे पर नहीं सुधरी हालत
जानकारी के अनुसार करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी प्रोजैक्ट की हालत नहीं सुधरी है। रेनोवेशन के बाद तो एक टरबाइन पूरी हिल रही है, जिससे आज तक बिजली पैदा नहीं की जा सकी है जबकि 2 टरबाइनें अभी भी खटारा बनी हुई हैं, ऐसे में आखिरी टरबाइन से बिजली पैदा की जा रही थी लेकिन बिजली उत्पादन की यह आखिरी उम्मीद भी टूट जाने से स्पीति उपमंडल एक बार फिर अंधेरे के संकट में घिर गया है।