रिश्वत कांड : उद्योग विभाग के बद्दी कार्यालय में CBI की दबिश, जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए

Wednesday, May 31, 2017 - 08:12 PM (IST)

सोलन: सी.बी.आई. ने 5 लाख रुपए की रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किए गए उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक तिलकराज शर्मा व उद्योगपति अशोक राणा पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उनकी सम्पत्ति को लेकर अब जांच शुरू हो गई है। इसके लिए सी.बी.आई. की टीम ने उद्योग विभाग के बद्दी स्थित कार्यालय में दबिश देकर सारा रिकार्ड खंगाला और जरूरी कागजात अपने साथ ले गई। बताया जा रहा है कि तिलकराज शर्मा की औद्योगिक क्षेत्र में तैनाती के बाद से अब तक के सारे रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं। सी.बी.आई. ने उनके समय में उद्योगों को आबंटित हुए औद्योगिक प्लाटों को भी जांच के घेरे में ले लिया है। उनके कार्यालय की ओर से उद्योगों को मिली क्लीयरैंस को लेकर भी जांच की जा रही है।

रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार उद्योगपति की कंपनी में दी दबिश
इसके बाद सी.बी.आई. की टीम ने मानपुरा स्थित एम.एस. राणा पैकेजिंग फैक्टरी में दबिश दी। यह कंपनी रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार उद्योगपति अशोक राणा की बताई जा रही है। टीम ने इस फैक्टरी में रिकार्ड को खंगाला और जरूरी दस्तावेज अपने साथ ले गई। सूत्रों की मानें तो सी.बी.आई. की टीम झाड़माजरी स्थित मैडीसेफ उद्योग में भी गई, जिसकी 50 लाख रुपए की सबसिडी जारी करने की एवज में 10 लाख रुपए की रिश्वत देने की मांग की जा रही थी। टीम वहां से इस मामले से जुड़े कागजात अपने साथ ले गई। 

उद्योग विभाग के एक कर्मचारी से भी पूछताछ 
सी.बी.आई. ने 5 लाख रुपए की रिश्वत के मामले में उद्योग विभाग के बद्दी स्थित कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी से भी पूछताछ की है। सी.बी.आई. ने अपने चंडीगढ़ कार्यालय में यह पूछताछ की है। 50 लाख रुपए की सबसिडी की एवज में मांगी जा रही रिश्वत को लेकर टैलीफोन पर शिकायतकर्ता व अशोक राणा की हुई बातचीत में उक्त कर्मचारी का नाम आया था। बताया जा रहा है कि सी.बी.आई. ने उक्त कर्मचारी से काफी देर तक पूछताछ की। 

प्रदेश की राजनीति पर पड़ सकता है असर
तिलकराज का पिछले करीब 12 वर्षों में से 7 वर्ष का सेवाकाल इसी कार्यालय का है। सूत्रों का कहना है कि सी.बी.आई. संयुक्त निदेशक की उद्योगों में हिस्सेदारी को लेकर भी जांच कर रही है। कहीं अधिकारी की किसी उद्योग में साइलैंट साझेदारी तो नहीं थी। इसके अलावा इस मामले में उन उद्योगपतियों से पूछताछ होनी है जिनके ऊपर संयुक्त निदेशक की मेहरबानी कुछ ज्यादा ही रही है। इसके कारण कई नेताओं व अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने शुरू हो गए हैं। इस मामले में कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है जिसका असर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ सकता है। 

औद्योगिक निवेश को लगेगा करारा झटका 
उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक तिलकराज शर्मा के रिश्वत मामले में गिरफ्तार होने से औद्योगिक निवेश को करारा झटका लगेगा। इसके कारण निवेशक अब प्रदेश में निवेश करने से कतराएंगे। यदि सबसिडी लेने के लिए भी उद्योगों को रिश्वत देनी पड़ेगी तो उद्योग लगाने के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने होंगे। दूसरे राज्यों के भ्रष्टाचार से तंग आकर उद्योगपति हिमाचल जैसे शांत क्षेत्र में निवेश करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं लेकिन उद्योग विभाग में ही भ्रष्टाचार का मामला सामने आने से उद्योगपति भी सकते में हैं।