ब्रेक के बाद फिर सजा नगर निगम का सियासी रण

Wednesday, May 31, 2017 - 04:38 PM (IST)

शिमला: ब्रेक के बाद नगर निगम शिमला का चुनावी रण फिर सज गया है। सियासी सेनाओं ने नए सिरे से कमर कस ली है। अब राजनीतिक दल एक-दूसरे को घेरने के लिए दोबारा चक्रव्यूह बुनेंगे। शह और मात के खेल पर कुछ समय के लिए विराम लग गया था। एक वक्त में ऐसा लग रहा था कि नगर निगम के चुनाव विधानसभा के साथ ही होंगे। मोदी की देश भर में चल रही लहर से कांग्रेस और इस पार्टी की सरकार इस कदर घबरा गई थी कि चुनाव ही आगे सरका दिए थे। बहाना बनाया गया वोटर लिस्ट की खामियां। इससे अनिश्चितता का दौर आरंभ हुआ लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से एकाएक हालात बदल गए हैं। अब सभी दलों को चुनाव के लिए तैयारियां करनी पड़ रही हैं। 


सुक्खू अभी भी अपनी सारी ताकत एक-दूसरे के खिलाफ झोंक रहे
तैयारियों के मामलों में विपक्षी दल भाजपा और नगर निगम में ‘सरकार‘ चला रही माकपा पहले ही आगे चल रहे थे। इसे लेकर कांग्रेस बैकफुट पर ही रही। सत्ताधारी पार्टी की कोई तैयारियां नजर नहीं आई थीं। न तो चुनाव प्रभारी बनाए और न ही वार्डों के पर्यवेक्षक तैनात किए। सरकार के मुखिया वीरभद्र सिंह और संगठन के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू अभी भी अपनी सारी ताकत एक-दूसरे के खिलाफ झोंक रहे हैं। वीरभद्र समर्थक सुक्खू को विधानसभा चुनाव से पहले हटवाने की मुहिम छेड़े हुए हैं तो सुक्खू भी इसकी काट खोजने में खासा दिमाग खपा रहे हैं। संगठन के चुनाव करवाने को लेकर भी दोनों की राय अलग-अलग हैं। इस बीच शिमला में नगर निगम के चुनाव घोषित हो गए। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इन हालातों के बीच निगम चुनाव पर कब्जा कर पाएगी? क्या भाजपा कांग्रेस के मजबूत किले पर सेंध लगा पाएगी? प्रचार के मोर्चे पर भाजपा आगे रही है। 


पार्टी ने निगम चुनाव की कमान पहले ही मबजूत हाथों में सौंपी
पार्टी ने निगम चुनाव की कमान पहले ही मबजूत हाथों में सौंप रखी है। पूर्व मंत्री डा. राजीव बिंदल इन चुनाव के प्रभारी हैं। उनके सारथी महेंद्र सिंह धर्माणी और त्रिलोक जम्वाल हैं। ये दोनों ही संगठन से निकले जुझारू नेता हैं। अब ताजा राजनीतिक हालातों पर तीनों ही फिर से नई रणनीति बनाएंगे। ऐसा व्यूह रचने का प्रयास होगा, जिससे कांग्रेस और कामरेड फंस कर रहे। पार्टी का दावा है कि वह मुद्दों के आसरे दन दोनों दलों की घेराबंदी करेगी। पार्टी के सेनापति तीखा वार करेंगे। इनके निशाने पर कांग्रेस और कामरेड दोनों रहेंगे। हालांकि पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा पार्षद भाजपा के जीत कर आए थे। इस नाते विकास करवाने की जिम्मेदारी इन पार्षदों की भी थी। जनता इनका भी रिपोर्ट कार्ड जांच सकती है। 


एंटी इन्कमबैंसी फैक्टर को भी भुनाएगी कांग्रेस
पहली बार ऐसा हुआ था कि जब भाजपा के कांग्रेस से भी ज्यादा पार्षद जीते थे लेकिन मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में माकपा उम्मीदवार जीते थे। माकपा का कहना है कि भाजपा भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है क्योंकि 5 साल पहले वार्डों में विकास करवाने का जनादेश तो उसे मिला था। माकपा के तो 3 ही पार्षद जीते थे। इनमें से भी एक पार्षद बाद में कांग्रेस में शामिल हो गया था। कांग्रेस के हमलों का रुख भी माकपा की तरफ रहेगा। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि निगम में दो अहम पदों पर कामरेड सत्तारूढ़ रहे। ऐसे में एंटी इन्कमबैंसी फैक्टर को भी कांग्रेस भुनाएगी। भाजपा निगम में भगवा झंडा लहराने का सपना देख रही है। पार्टी को लगता है कि इस बारी उसका सपना साकार होगा लेकिन कांग्रेसी, कम्युनिस्ट इसे मुंगेरी लाल के हसीन सपने करार दे रहे हैं।


जनता जवाब मांगेगी: बिंदल
नगर निगम चुनाव में भाजपा के प्रभारी एवं पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डा. राजीव बिंदल ने कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी पर तीखे वार किए हैं। उनका कहना है कि शिमला में कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने मिलकर ही नगर निगम को चलाया है। जब से निगम बना है तब से ही ऐसा चला हुआ है। शिमला का जो स्थान देश के लोगों के जहन में था, उस प्रेस्टिज को इन दोनों ने खत्म कर दिया है। शिमला में पीने के पानी का उपलब्ध न होना, मलमूत्र वाला पानी पिलाना, पीलिया का फैलना, उससे मौतें होना, पार्किंग अव्यवस्था, अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव इन सब हालातों के लिए कांग्रेस और  कम्युनिस्ट दोनों दल दोषी हैं। रही सही कसर राज्य सरकार ने धर्मशाला को दूसरी राजधानी का दर्जा देकर पूरी की है। ये ऐसे विषय हैं जिन पर शिमला की जनता इन दलों से जवाब मांगेगी। इन मुद्दों पर जनता जनादेश देगी।


पार्टी चिन्ह पर हों निकाय चुनाव: धूमल
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि कांग्रेस सरकार नगर निगम शिमला के चुनावों को हार की वजह से टालना चाहती थी लेकिन माननीय न्यायालय के फैसले के बाद अब चुनाव की तिथि घोषित हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा शुरू से ही चाहती है कि नगर निकाय के चुनाव पार्टी चिन्ह पर हों तथा पूर्व भाजपा सरकार में नगर निकाय के चुनाव पार्टी चिन्ह पर ही करवाए थे। उन्होंने कहा कि चुनावों के बाद जो जीतकर पार्षद आते हैं, उन्हें राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टी के बताते हैं लेकिन अगर चुनाव चिन्ह पर नगर निकाय के चुनाव हों तो जनता को भी पता चल जाएगा कि किस पार्टी के कितने लोग जीते हैं। उधर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष गणेश दत्त का कहना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवारों की जल्द सूची जारी होगी।


लोग करेंगे लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित
माकपा के नेता डा. कुलदीप सिंह तंवर का कहना है कि निगम चुनाव में अनेक लोग वोट के लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित रहेंगे। उनका कहना है कि सरकार और सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल रहे हैं। चुनाव में कांग्रेस को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। उनका कहना है कि माकपा जल्द ही पार्टी समॢथत प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी। पार्टी की चुनाव के लिए पहले से ही तैयारियां चल रही थीं।