14 वर्षों से शहरी निकायों में नहीं हुआ BPL सर्वे

Saturday, Jun 30, 2018 - 12:57 PM (IST)

चम्बा : पंचायती स्तर पर बी.पी.एल. व आई.आर.डी.पी. सूची में शामिल अपात्रों को बाहर निकालने का कार्य तो युद्ध स्तर पर चला हुआ है लेकिन शहरी निकायों में यह कार्य अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है। यही नहीं शहरी निकायों में वर्ष 2004 में चम्बा शहर में आई.आर.डी.पी. का सर्वे हुआ था। उसके बाद आज 14 वर्ष बीतने के बाद भी नए सिरे से न तो सर्वे हुआ है और न ही इस बात को जानने का प्रयास किया गया है कि इस सूची में शामिल कितने लोग बीते 14 वर्षों के दौरान इस सूची में शामिल होने की योग्यता हासिल कर चुके हैं और कितने लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, ऐसे में वर्ष 2004 में नगर परिषद चम्बा में जिन बी.पी.एल. परिवारों का आंकड़ा 909 था उस आंकड़े में अब तक कोई भी बदलाव नहीं आया है।

इस आंकड़े पर अगर विश्वास किया जाए तो निश्चिततौर पर यह सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती है कि विगत 14 वर्षों में चम्बा शहर में गरीबों की संख्या में कोई कमी दर्ज नहीं हुई है। वास्तव में ऐसा है तो फिर सवाल यह पैदा होता है कि इन समयावधि में जो भी सरकारी योजनाएं चली हैं उनमें इतना भी दम नहीं था कि वह इस आंकड़े में कम से कम एक आध परिवार की कमी ही करने में सफल हो पाते। दूसरी तरफ वास्तविकता की नजर से देखा जाए तो बीते 14 वर्षों के दौरान शहरी क्षेत्रों में विकास ने रफ्तार पकड़ी है तो साथ ही कई परिवार आर्थिक रूप से संपन्न हुए हैं जोकि अब इस सूची में स्थान बनाए रखने के पात्र नहीं है, ऐसे में सरकार व जिला प्रशासन को पंचायतों की भांति शहरी निकायों के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में भी बी.पी.एल. परिवारों की पहचान करने के लिए सर्वे करवाना चाहिए ताकि अपात्रों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सके और जो पात्र परिवार किन्हीं कारणों से अब तक इस सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं उन्हें जगह मिल सके। 

kirti