हिमाचल में एक साल में पैदा होते हैं इतने गूंगे-बहरे बच्चे, पढ़िए खबर

Thursday, Nov 08, 2018 - 05:31 PM (IST)

कांगड़ा : डा. राजेंद्र प्रसाद मैडीकल कालेज टांडा के कान, नाक व गले के विभाग ने कुछ आंकड़े हिमाचल में बच्चों से सम्बन्धित जारी किए हैं। विशेषज्ञ डाक्टर डा. मुनीष सरोच ने बताया कि हर माह 18 बच्चे व साल में 216 बच्चे गूंगे-बहरे केवल हिमाचल में पैदा होते है। उन्होंने बताया कि भारत में 6.3 प्रतिशत बच्चों में जन्मजात कम सुनने की समस्या होती है। इसके कई कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि एक बहुत बढ़े वर्ग को अभी काकलियर इंप्लांट के द्वारा हम आम आदमी की तरह जीने में सहायता कर सकते हैं। अडिप योजना के तहत 5 साल तक के जन्म से पैदा हुए गुंगे बहरे व 12 साल तक की आयु वाले जोकि गर्दनतोड़ रोग के कारण गूंगे बहरे होते हैं, को निशुल्क काकलियर इंप्लांट इस योजना के तहत दिए जाते है। 

नवजात गूंगे व बहरे होने के कारण
-कुछ जहरीले रसायनों या दवाओं का प्रयोग गर्भ में या जन्म के बाद।
-आनुवंशिक विकार।
-मां के पेट में उसके बच्चे को संक्रमण (टोक्सोप्लाजमोसिज, खसरा, या दाद के रूप में)
-मैनिंजाइटिस या खसरे जैसे संक्रमण जो कि जन्म के बाद मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते है
-भीतरी कान की संरचना के साथ कोई समस्या
-ट्यूमर

यह हैं इस बीमारी से बचने के उपाय 
-महिलाओं को जो गर्भवती बनने की योजना बना रही हैं उन्हें गर्भावस्था के दौरान सभी प्रकार के इंजेक्शन जो जरूरी है वह लगवाने चाहिए।
-गर्भवती महिलाओं को कोई भी दवा लेने से पहले अपने डाक्टर से जांच करवानी चाहिए। साथ ही यदि आप गर्भवती हैं, तो ऐसी गतिविधियों से बचे है जो बच्चे में खतरनाक संक्रमण का कारण हो सकती है जैसे टोक्सोप्लाजमोसिज।
-यदि आप या आपके साथी के परिवार में बहरेपन का इतिहास है तो आपको गर्भधारण करने से पहले आनुवांशिक परामर्श प्राप्त करना चाहिए।

Jinesh Kumar