नहीं देखा कच्चे धागे का इतना पक्का बंधन, सरहदों पर तैनात फौजी भाइयों के लिए भेजी राखियां

Monday, Aug 20, 2018 - 11:55 AM (IST)

मंडी (नीरज): भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाता रक्षा बंधन का त्यौहार। इस त्यौहार में हर भाई को अपनी बहन का इंतजार रहता है और बहनें भी भाईयों से मिलने उनके पास पहुंचती हैं। लेकिन जो भाई सरहदों की रक्षा में दिन रात जुटे रहते हैं उनकी कलाई खाली न रह जाए, इसलिए बहुत सी बहनें उनके लिए राखियां भेजती हैं। इन्हीं बहनों में शामिल है हिमाचल डिफेंस वूमेन वेलफेयर एसोसिएशन का नाम। सैनिकों और पूर्व सैनिकों की पत्नियों द्वारा बनाई गई यह एसोसिएशन बीते चार वर्षों से फौजी भाईयों को राखियां भेजने का काम कर रही है। 


बाजार से रेडिमेड राखी खरीद की भेजना तो आसान होता है लेकिन खुद राखियां बनाकर उन्हें भेजना एक अलग बात है। यह महिलाएं बीते एक महीने से दिन रात खुद राखियां बनाने में जुटी हुई हैं। अभी तक दो हजार राखियां बनाकर सरहदों के लिए भेज चुकी हैं जबकि तीन हजार राखियां और बनाकर भेजना बाकी रह गया है। हिमाचल डिफेंस वूमेन वेलफेयर एसोसिएशन की सचिव शांता ठाकुर ने बताया कि एक राखी को बनाने में 5 मिनट लग रहे हैं और उन्हें इस काम को करने में बड़ा ही आनंद प्राप्त हो रहा है।


एसोसिएशन की अध्यक्षा आशा ठाकुर ने बताया कि एसोसिएशन की महिलाएं हर वर्ष खुद राखियां बनाकर उन्हें सरहदों पर तैनात फौजी भाईयों के लिए भेजती हैं। इन राखियों को इन्होंने नाम दिया है ’’स्पेशल फौजी भाई राखी’’। राखियां भी तिरंगे वाली बनाई जा रही हैं। रेशम के तीन रंगों वाले धागों का इस्तेमाल करके इन राखियों का निर्माण किया जा रहा है। आशा ठाकुर ने बताया कि राखियों के माध्यम से वे हमेशा फौजी भाईयों के मनोबल को बढ़ाने का प्रयास करती हैं ताकि उन्हें सरहदों की रक्षा करने में और ज्यादा ताकत मिले।


निश्चित तौर पर सरहदों पर जो फौजी देश की रक्षा के लिए तैनात होते हैं उन्हें जब देश की बहनों द्वारा स्प्रेम भेजी गई यह राखियां मिलती होंगी तो इन्हें प्राप्त करने का सकून कुछ और ही होता होगा। यह महिलाएं राखियां बनाकर और उन्हें भेजकर इस बात का संदेश देने का प्रयास कर रही हैं कि त्यौहारों पर हमे उन वीरों को भी याद करना चाहिए जिनकी मौजूदगी से देश खुद को सुरक्षित महसूस करता है।

Ekta