‘काली भेड़’ की तलाश में फिर जुटी कांग्रेस

Wednesday, Jun 21, 2017 - 03:29 PM (IST)

शिमला: नगर निगम शिमला के चुनाव में हार के बाद मेयर और डिप्टी मेयर के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की ओर से क्रॉस वोटिंग करने से सरकार और संगठन में दरार बढ़ गई है। निर्वाचित पार्षदों को एकजुट नहीं रख पाने से कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई एक बार फिर सामने आई है। बताया जा रहा है कि टिकट चयन में वीरभद्र सिंह और सुक्खू गुट की अंदरूनी लड़ाई की बात तो सबको पता थी। लेकिन इन चुनावों के बाद सरकार और संगठन के बीच समझौते की कमी दिख रही है। पहले चरण में चुनाव करवाने या नहीं और पार्टी चिन्ह पर भी इसे करवाने को लेकर सरकार अपनी बात साफ ना कर सकी। इतना ही नहीं वह मतदाता सूचियों में हुई गड़बड़ियों को लेकर भी गंभीर नहीं दिखी। 


कुछ वार्डों में संगठन टिकटें फाइनल भी नहीं कर सका
दूसरे चरण में संगठन समर्थित प्रत्याशी घोषित करने पर सस्पेंस बरकरार रहा। संगठन ने बयान देकर प्रत्याशी घोषित न करने का फैसला लिया। जब उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भर दिए तो संगठन ने अपने समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी कर नामांकन करने वाले पार्टी से जुड़े अन्य उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के आदेश जारी कर दिए। कुछ वार्डों में संगठन टिकटें फाइनल भी नहीं कर सका। कहीं न कहीं इसका खामियाजा कांग्रेस को हार से चुकाना पड़ा। इधर, टिकट नहीं मिलने से नाराज आजाद प्रत्याशी संजय परमार ने पाला बदल लिया। मंगलवार को मेयर-डिप्टी मेयर के चयन में दोबारा से अंतर्कलह के चलते क्रॉस वोटिंग हुई। 


कौन है काली भेड़, यह सवाल कांग्रेस को कर रहा परेशान
कांग्रेस में काली भेड़ कौन है? यह सवाल उनको काफी परेशान कर रहा है। हर कोई अपने-अपने तरीके से काली भेड़ को ढूंढता रहा। कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ भाजपा के लोगों की आंखें भी चुप बैठे समर्थन देने वाले पार्षदों को तलाश रही हैं। 


धोखा देने से बेहतर संजय परमार की तरह छोड़ जाते
चुनावों में क्रॉस वोटिंग होना कई कांग्रेस नेताओं को यह बात हजम नहीं हो रही है। नेताओं का कहना है कि धोखा देने से बेहतर होता संजय परमार की तरह काली भेड़ भी छोड़ कर चली जाती। ताकि सरकार को पता तो चल जाता कि कौन अपना है और कौन बेगाना।