BJP के अभेद्य दुर्ग में 32 साल बाद कांग्रेस की सेंध

Friday, Dec 29, 2017 - 10:47 AM (IST)

हमीरपुर: प्रदेश में जहां भाजपा सरकार और मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है, वहीं जिला हमीरपुर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में अब एक नई सुबह की शुरूआत हो चुकी है। 3-2 के मुकाबले में खड़ी कांग्रेस व भाजपा दोनों के जीते हुए प्रत्याशियों के पास अब अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों को विकास की ऊंचाइयां दिखाने का लक्ष्य है। भोरंज सीट से इस बार भाजपा की कमलेश कुमारी पहली बार विधानसभा पहुंची हैं तो दूसरी बार विधायक बने भाजपा के नरेंद्र ठाकुर हमीरपुर से पहली बार अपने इस नए क्षेत्र की पैरवी विधानसभा में करेंगे। बड़सर से लगातार दूसरी बार कांग्रेस के इंद्रदत्त लखनपाल को कमान मिली है तो नादौन सीट से कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुक्खू तीसरी बार अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। 


चुनाव में सबसे हॉट रही सुजानपुर सीट का प्रतिनिधित्व करने का दूसरी बार मौका राजेंद्र राणा को मिला है। अब तक के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो इस बार कांग्रेस ने भाजपा के अभेद्य दुर्ग हमीरपुर किले पर वर्ष 1985 के बाद पहली बार 3 सीटों के साथ बढ़त बनाकर फतह हासिल की है। वर्ष 1985 में कांग्रेस 4 तथा भाजपा 1 सीट पर विजयी रही थी। जिला में 90 के दशक तक भारतीय जनसंघ व कांग्रेस में बराबर की टक्कर होती रही लेकिन वर्ष 1998 में हमीरपुर से मुख्यमंत्री मिलने के बाद भाजपा ने अपनी जड़ें मजबूत कीं तथा कांग्रेस का कुनबा डोलता रहा। वर्ष 1990 से अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस को मात्र 1 या 2 सीटों के साथ ही जिला में संतोष करना पड़ा है। वर्ष 1990 में भाजपा 4 व कांग्रेस 1, 1993 में कांग्रेस व भाजपा 2-2 व 1 आजाद, 1998 में भाजपा 5, वर्ष 2003 में कांग्रेस 2 व भाजपा 3, वर्ष 2007 में कांग्रेस 1 व भाजपा 4 तथा 2012 में भाजपा 3 व 1 कांग्रेस तथा 1 पर आजाद उम्मीदवार विजयी रहा था।  


सुजानपुर सीट जीत के साथ इतिहास बना गए राणा के काम
सुजानपुर सीट ने इस बार अप्रत्याशित परिणाम देकर सबको चौंका दिया है। पुनर्सीमांकन के बाद वर्ष 2012 में अस्तित्व में आई इस सीट पर राजेंद्र राणा ने बतौर आजाद चुनाव जीता था। उसके बाद वर्ष 2014 में राणा के कांग्रेस में जाने तथा इस सीट से इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव में भाजपा के नरेंद्र ठाकुर ने बाजी मारी। इसके बावजूद इस सीट पर राजेंद्र राणा सक्रिय रहे तथा लोगों के काम करवाने के साथ उनके साथ दिल से जुड़े रहे। राणा के काम को देखते हुए ही लोगों ने उन्हें वर्ष 2017 के चुनाव में गले लगाते हुए दोबारा इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया तथा भाजपा की ओर से सी.एम. कैंडीडेट प्रेम कुमार धूमल को हार का मुंह देखना पड़ा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में पुनर्सीमांकन के बाद सुजानपुर विस क्षेत्र का उदय हुआ था। कभी स्वर्गीय जगदेव चंद ठाकुर के गढ़ रहे हमीरपुर विस क्षेत्र के 56 और प्रेम कुमार धूमल के अभेद्य दुर्ग रहे बमसन विस क्षेत्र के 46 बूथों को मिलाकर सुजानपुर विस क्षेत्र अस्तित्व में आया था। भाजपा के 2 महारथियों की कर्मभूमि से मिलकर बने इस सुजानपुर चुनाव क्षेत्र में इस बार हुआ उलटफेर किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। 


थानेदारी करने से दिल नहीं जीते जाते : राणा
सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि सुजानपुर की जनता का ऋण वह 100 जन्म लेकर भी नहीं उतार पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में सुजानपुर के युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों, कार्यकर्ताओं व आम आदमी ने प्रलोभनों व दबाव की राजनीति को नकार कर उन्हें अपना भरपूर प्यार व आशीर्वाद दिया है। सुजानपुर के लोगों का प्यार और विश्वास ही उनकी असली ताकत है और उनकी जीत जनता के विश्वास की जीत है। अब जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के साथ विकास के मोर्चे पर इस क्षेत्र को बुलंदियों पर ले जाने के लिए वह कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे तथा आखिरी सांस तक जनता की सेवा के लिए खुद को समपूर्ति रखेंगे। इस चुनाव में धन, बल व शराब का खुला खेल खेलने के बावजूद उनके विरोधी जनता का विश्वास नहीं जीत पाए जबकि आम आदमी के अलावा व्यापारियों, कर्मचारियों व अधिकारियों को डराने-धमकाने का काम भी किया गया लेकिन जनता ने ऐसी ताकतों को नकार कर यह साबित कर दिया कि थानेदारी करने से लोगों के दिल नहीं जीते जा सकते बल्कि लोगों की सेवा करके ही उनका विश्वास जीता जा सकता है। राजेंद्र राणा ने कहा कि सुजानपुर हलके में जिन लोगों ने थानेदार की तरह डरान-धमकाने का काम शुरू किया था, उन लोगों से इलाके की जनता को अब छुटकारा मिल गया है। 


फेसबुक पर यूं छलकाया था अपना दर्द
44 सीटों पर भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटी भाजपा में सी.एम. कैंडीडेट को लेकर चले घमासान में सुजानपुर सीट का बहुत बड़ा हाथ है। यहां से भाजपा के सी.एम. कैंडीडेट एवं 2 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल अपने राजनीतिक शिष्य कांग्रेस के राजेंद्र राणा से हारे हैं जिस कारण सी.एम. पद को लेकर भाजपा में 18 दिसम्बर से ही सस्पैंस चला हुआ है। सुजानपुर सीट पर भाजपा की हार को लेकर अनेक कयास लगाए जा रहे हैं तो जीत के बावजूद अपनी बढ़त से रुआंसा हुए राजेंद्र राणा ने भी भितरघात का आरोप लगाया है। इसी के बीच अब स्वर्गीय जगदेव चंद ठाकुर के पोते एवं वरिष्ठ नेत्री उर्मिल ठाकुर के बेटे रूबल ठाकुर ने फेसबुक पर तंज कसते हुए अपनी बात रखी है। 


उनके अनुसार समय इंतजार में था जबकि इस सीट पर भाजपा की हार की पटकथा वर्ष 2012 में ही लिखी जा चुकी थी। उनके अनुसार वर्ष 2012 के विस चुनावों में सुजानपुर से तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए भेजे गए कार्यकर्ता वापस अपनी पार्टी में लौट कर ही नहीं आए। उनका कहना है कि वर्ष 2014 में लोकसभा व सुजानपुर सीट के उपचुनाव में जिस तरह के बढ़त के नतीजे सुजानपुर से आए थे, उस ट्रैंड को शिमला में एक बड़ा राजनीतिज्ञ समझ चुका था। इसलिए सुजानपुर में राजेंद्र राणा को फ्री हैंड दिया गया। उनका कहना है कि भाजपा वर्ष 2017 में ही नहीं हारी, इसकी पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी। असल में चुनाव और क्षेत्र भाजपा वर्ष 2012 में ही हार गई थी लेकिन समय इंतजार में था। 


फिर झटका नादौन 
नादौन सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। यहां पर वर्ष 2012 तक हुए विस चुनावों में 10 में से कांग्रेस ने 7 बार तथा 3 बार भाजपा ने विजय प्राप्त की है। पिछले चुनाव में वर्ष 2002 से अजय चल रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू के अजय अभियान पर भाजपा के विजय अग्निहोत्री ने ब्रेक लगाई थी लेकिन इस बार सुक्खू ने तीसरी बार जीत हासिल कर विधानसभा में एंट्री की है।