हिमाचल दौरे पर आए 15वें वित्त आयोग दल के समक्ष भाजपा-कांग्रेस ने रखी ये मांग

Wednesday, Sep 26, 2018 - 09:42 AM (IST)

शिमला (कुलदीप): राज्य के दौरे पर शिमला पहुंचे 15वें वित्त आयोग के दल से मंगलवार को प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने मुलाकात करके अपने पक्ष को रखा। आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह के नेतृत्व में आए इस दल के समक्ष प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ विपक्षी कांग्रेस और माकपा ने भी वित्तायोग से मिलकर ज्ञापन सौंपकर राज्य को कर्ज से उबारने की गुहार लगाई। इसके अलावा टीम के उद्योग, पर्यटन और होटल व्यावसायियों से मिलने का कार्यक्रम भी है, साथ ही 27 सितम्बर को टीम के कांगड़ा जिला पर जाने की संभावना है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती के नेतृत्व में वित्तायोग को सौंपे गए ज्ञापन में प्रदेश को कर्ज से उबारने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग की। 

पार्टी का कहना है कि प्रदेश पर इस समय करीब 48,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। लिहाजा ऐसे में प्रदेश की उदार वित्तीय मदद की जानी चाहिए। पार्टी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए राहत पैकेज दिया जाना चाहिए। पार्टी ने कहा कि इस वर्ष राज्य को करीब 3,000 करोड़ रुपए तक नुक्सान पहुंच चुका है। ज्ञापन में भाजपा ने विद्युत परियोजनाओं विशेषकर भाखड़ा बांध और पौंग बांध में हिस्सेदारी की मांग की। पर्यटन के क्षेत्र में हवाई अड्डों के निर्माण और रेलवे विस्तार में मदद की गुहार लगाई। कांग्रेस विधायक दल के प्रतिनिधिमंडल ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में वित्तायोग को ज्ञापन सौंपकर हिमाचल प्रदेश को 48 हजार करोड़ रुपए के कर्ज से उबारने के लिए एकमुश्त ग्रांट देने की मांग की। साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से घोषित 70 राष्ट्रीय उच्च मार्गों के लिए 65,000 करोड़ रुपए उपलब्ध करवाने की मांग की।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का गठन राजनीतिक जरूरतों के मद्देनजर हुआ, जिस कारण प्रदेश का आर्थिक पोषण करने का दायित्व केंद्र और वित्तायोग की जिम्मेदारी है। पार्टी ने कहा कि 14वें वित्तायोग के कारण प्रदेश आर्थिक तौर पर विकास और कल्याण की जरूरतें पूरा करने में सक्षम रहा है और उसमें 232 फीसदी का इजाफा हुआ तथा केंद्रीय करों को भी 32 से 42 फीसदी मदद मिली। पार्टी ने प्रदेश के आय और खर्चे का सही मूल्यांकन करते हुए इस अंतर को दूर की मांग की। कांग्रेस ने पावर प्रोजैक्टों में राज्य को हिस्सेदारी न मिलने पर नाराजगी जताई, जिसके चलते प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। इससे राज्य को करीब 25,000 करोड़ रुपए की आमदनी होना अनुमानित है। प्रदेश की तरफ से वन संपदा के संरक्षण और पर्यावरण को बचाने के लिए मदद की जानी चाहिए।

माकपा की तरफ से विधायक राकेश सिंघा, डा. ओंकार शाद, डा. कुलदीप सिंह तंवर और संजय चौहान ने वित्तायोग के दल से मिलकर हिमाचली हितों की पैरवी की। माकपा नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश में विकास कार्य के लिए उदार वित्तीय मदद नहीं मिल रही है। पार्टी ने सड़क, रेलवे, वन और पर्यावरण के क्षेत्र में मदद की गुहार लगाई। माकपा ने प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने में सहयोग देने का आग्रह किया, साथ ही हिमाचल प्रदेश को वन एवं पर्यावरण संरक्षण प्रदान करने की एवज मदद करने को कहा। प्रदेश में बरसात के कारण होने वाले नुक्सान में मदद करने, पावर प्रोजैक्टों में हिमाचल की हिस्सेदारी के मामले को सुलझाने और एफ.सी.ए. क्लीयरैंस सहित अन्य मामलों को उठाया।

पंचायती राज व शहरी निकाय प्रतिनिधियों से भी मंत्रणा
वित्तायोग के दल ने पंचायती राज और शहरी निकाय प्रतिनिधियों के साथ भी मंत्रणा की। इस दौरान प्रतिनिधियों ने विकास कार्य के लिए उचित धन उपलब्ध करवाने की मांग की। पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने पंचायत समिति और जिला परिषद के लिए मदद की गुहार लगाई। इसी तरह शहरी क्षेत्र में सुनियोजित विकास के लिए प्रतिनिधियों ने उचित मदद उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।
 

Ekta