बिलासपुर के राजनीति के दिग्गज, जानिए कब कौन जीता-हारा

Tuesday, Dec 19, 2017 - 04:38 PM (IST)

बिलासपुर: अभी नैनादेवी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर 5वीं बार इस विधानसभा सीट से जीते हैं जबकि अब तक लड़े हुए 8 चुनावों में 3 बार रामलाल ठाकुर हार चुके हैं। इस विधानसभा चुनाव क्षेत्र से अपना पहला चुनाव वर्ष 1985 में लड़ा और चुनाव में ही जीत हासिल की। रामलाल ठाकुर वर्ष 1990 में सी.पी.आई. के के.के. कौशल से, वर्ष 2007 में भाजपा के रणधीर से व वर्ष 2012 में भी उनसे चुनाव हार चुके हैं। घुमारवीं से विजयी हुए भाजपा के राजेंद्र गर्ग ने यह अपना दूसरा विधानसभा चुनाव लड़ा है तथा बिलासपुर के अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा अंतर से बड़ी जीत दर्ज की है जबकि वर्ष 2012 में राजेंद्र गर्ग को हार का सामना करना पड़ा था।


कांग्रेस के राजेश धर्माणी इससे पूर्व वर्ष 2007 व वर्ष 2012 में लगातार जीत चुके हैं। निवर्तमान कांग्रेस सरकार में सी.पी.एस. बने राजेश धर्माणी ने वर्ष 2007 में भाजपा के के.डी. धर्माणी को 1931 मतों के अंतर से व वर्ष 2012 में भाजपा के राजेंद्र गर्ग को 3208 मतों के अंतर से हराया था। सदर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुभाष ठाकुर प्रदेश राजनीति में नया चेहरा हैं। हालांकि सुभाष ठाकुर इससे पूर्व वर्ष 2000 के आसपास जिला परिषद के सदस्य रह चुके हैं जिसके बाद उन्होंने अब सीधे सदर से विधानसभा चुनाव लड़ा व पहले ही चुनाव में जीत हासिल की। विधायक बंबर ठाकुर ने अपना पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 में कांग्रेस के बागी निर्दलीय के रूप में लड़ा था जिसमें वह दूसरे नंबर पर रहे थे जबकि कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष 2012 में कांग्रेस ने बंबर ठाकुर को टिकट दिया और उन्होंने भाजपा के सुरेश चंदेल को 5141 मतों के अंतर से हराकर विधायक बनने का स्वाद चखा। बंबर ठाकुर इससे पूर्व जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं।


उधर, झंडूता से जीते भाजपा प्रत्याशी जीत राम कटवाल प्रदेश की राजनीति में बिल्कुल ही नया चेहरा हैं। जीत राम कटवाल एक वर्ष पूर्व ही आई.ए.एस. अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए तथा भाजपा का दामन थाम लिया। कटवाल से हारने वाले कांगे्रस के डा. बीरू राम किशोर दो बार झंडूता से विधायक रह चुके हैं। बीरू राम ने वर्ष 1993 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा तथा जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के रिखी राम कौंडल को हराया था। वर्ष 2003 के चुनाव में कांग्रेस का टिकट नहीं मिला। उन्होंने निर्दलीय के रूप में कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ा तथा भाजपा के रिखी राम कौंडल को हराकर दूसरी बार विधायक बने जबकि अब यह उनकी लगातार तीसरी हार है। इससे पूर्व वर्ष 2007 के चुनाव में व वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा के रिखी राम कौंडल ने उन्हें लगातार दो बार हराया था।