एक तरफ कुदरत की मार, दूसरी तरफ नौकरी की दरकार

Monday, Apr 02, 2018 - 06:08 PM (IST)

बिलासपुर : जब कुदरत इंसान के साथ अन्याय करती है तो उसे समाज व सरकार से सहयोग की उम्मीद बंधती है लेकिन जब सरकार भी साथ न दे तो वह कहां जाए? ऐसा ही वाक्या भराड़ी पंचायत के चलालड़ू गांव के विनोद राय के साथ पेश आया। जन्म से बिना हाथ व पैर के पैदा हुए विनोद कुमार आज भी सरकार से नौकरी की आस बंधाए बैठा है लेकिन सरकार के आगे कई बार मांग करने के बाद भी नौकरी से वंचित रहना पड़ रहा है। एक तरफ जहां से लोग एक बार असफलता मिलने से मौत को गले से लगा लेते हैं वहीं जन्म से बिना हाथ-पैर के पैदा हुए विनोद ने प्रतिकूल परिस्थितियों से मुकाबला कर न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि कंप्यूटर ऑप्रेटिंग प्रोग्राम असाइनमैंट भी पूरी की। हाथ-पैर न होने के बावजूद विनोद बिना किसी सहारे बसों में चढऩा, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना और लिखाई का काम खुद ही बखूबी के साथ करता है। 

विनोद राय ने बताया कि उनके पिता लोक निर्माण विभाग में चतुर्थ श्रेणी में कार्यरत थे तथा 8 साल पूर्व उनकी ड्यूटी समय पर मृत्यु हो गई थी जिसके चलते उन्होंने सरकार से करूणामूलक आधार पर नौकरी की मांग की थी लेकिन आज तक उन्हें केवल आश्वासनों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि वह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद अनुराग ठाकुर से कई बार मुलाकात कर चुके हैं लेकिन आज तक उन्हें आसमानी ख्यावों के अलावा धरातल पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।
विनोद का आरोप है कि एक तरफ सरकार दिव्यांगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के दावे करती है लेकिन जमीनी स्तर पर दावे खोखले नजर आते हैं।

 उन्होंने रोष जताया कि उन्हें न तो दिव्यांग कोटे से नौकरी मिली और न ही करूणामूल आधार पर नौकरी दी जा रही है। विनोद का कहना है कि उन्होंने कई बार करूणामूलक आधार पर नौकरी प्राप्त करने के लिए विभागों के चक्कर लगाए लेकिन उन्हें विभाग की तरफ से कभी मां को नौकरी देने की बात कही जाती है तो कभी कागज पूरे न होने की बात कहकर टाल दिया जाता है। उन्होंने पंजाब केसरी कार्यालय में आकर अपनी पूरी दास्तान सांझा की।
 

Kuldeep