यहां परीक्षा से पहले देवता के मंदिर जाना जरूरी, वर्षों से निभा रहे परंपरा

Saturday, Feb 25, 2017 - 01:14 AM (IST)

कुल्लू: वे पढ़ाई में जी तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन आस्थावान भी हैं। इस वैज्ञानिक युग में भले ही विज्ञान पर ज्यादातर लोग विश्वास करें लेकिन यहां एक स्कूल ऐसा भी है, जहां के बच्चे सालभर लगन से पढ़ाई करने के बावजूद भी परीक्षा से पूर्व देवता के मंदिर जाकर आशीर्वाद लेते हैं। जिला कुल्लू की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला थरास में इस तरह की अनूठी परंपरा है। भले ही यह स्कूल करीब साढ़े 3 दशक पहले बना हो लेकिन यहां के शिक्षक व शिक्षार्थी आस्थावान हैं। 

जब से खुला स्कूल तब से चली आ रही परंपरा
जब से यह स्कूल खुला है तब से यह परंपरा चली आ रही है। परंपरा यह है कि जब-जब परीक्षा की घड़ी आती है, तब-तब स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थी एक बार देवता जेहर के मंदिर जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं और परीक्षा की सफलता के लिए आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। गौरतलब है कि देवता जेहर का मंदिर स्कूल से लगभग आधा किलोमीटर दूर स्थित है, जहां 11वीं व 12वीं कक्षा के विद्यार्थी स्कूल प्रधानाचार्य व अन्य अध्यापकों के साथ जाकर शीश नवाते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। मान्यता है कि यहां प्रसाद चढ़ाने से परीक्षा का परिणाम भी अच्छा रहता है। वर्ष 2000 के बाद इस स्कूल को वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल का दर्जा प्राप्त हुआ। 

कभी खराब नहीं रहा स्कूल का परिणाम
थरास स्कूल के पी.टी.आई. बुद्धि सिंह का कहना है कि पिछले 15 सालों से वह स्कूल की इस परंपरा को देखते आ रहे हैं तथा इसमें भाग भी ले रहे हैं। इस वर्ष भी गत दिवस इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया गया। 12वीं कक्षा के छात्र स्कूल प्रधानाचार्य व अध्यापकों के साथ देवता के मंदिर तक गए व पूजा-अर्चना के बाद देवता से बेहतर परिणाम की प्रार्थना की गई। स्कूल के अध्यापकों तथा छात्रों ने बताया कि स्कूल के साथ-साथ पूरे गांव की देवता जेहर पर अटूट आस्था है। यह आस्था की ही शक्ति है कि इस स्कूल का परिणाम कभी खराब नहीं रहा है। 

न चढ़ाएं प्रसाद तो खराब रहता है परिणाम 
क्षेत्र के लोग कहते हैं कि वर्षों से इस स्कूल का परिणाम बेहतर ही रहा है। यह देवता पर अटूट आस्था का कारण है। क्षेत्र के लोगों की मानें तो अगर यहां परीक्षा से पहले प्रसाद न चढ़ाएं तो परीक्षा का परिणाम खराब निकलता है। अक्सर स्कूलों में विद्यार्थियों का ध्यान मात्र पढ़ाई की तरफ केंद्रित किया जाता है लेकिन थरास स्कूल में देवता को भी पढ़ाई के साथ-साथ मान्यता दी जा रही है।