चुनाव आयोग का अधिकारी बताकर छात्रों को दिया मतदान की वीडियो बनाने का झांसा!

Wednesday, Nov 08, 2017 - 11:32 PM (IST)

शिमला: घणाहट्टी के एक निजी संस्थान के  छात्रों को वोटिंग के समय विभिन्न बूथों में वीडियो बनाने का झांसा दिया गया है। वीडियो बनाने की एवज में छात्रों को एक हजार रुपए देने की पेशकश की गई, ऐसे में संस्थान के छात्र भी असमंजस में पड़ गए। वाकया बुधवार को घटित हुआ जब अपने आप को चुनाव आयोग का अधिकारी बताने वाले कुछ लोग संस्थान में आए और कक्षाओं में जाकर छात्रों को मतदान में अपनी भागीदारी देने के लिए तैयार करने लगे। उन्होंने मत प्रक्रिया के लिए विद्यार्थियों से सहयोग करने को कहा और बदले में एक हजार रुपए देने की बात की। चुनाव अधिकारियों के रूप में आए उन कर्मियों ने सभी छात्रों को एक टैबलेट देने की पेशकश की और कहा कि उनको यह डिवाइस अपने-अपने बूथों में जाकर फि ट करनी होगी और प्रत्येक वोट डालने वाले की कवरेज करनी होगी। इसके लिए बाकायदा छात्रों से आपेक्षित आधार कार्ड की प्रतिलिपि और फ ार्म भरवाए गए।

छात्रों के सवालों का संतोषजनक उत्तर न देने पर हुआ अंदेशा
इसके बाद जब चुनाव अधिकारी छात्रों को डिवाइस के बारे में बताने लगे तो छात्रों को उन पर कथित चुनाव आयोग के अधिकारी होने का अंदेशा हुआ और उन्होंने उपस्थित लोगों से सवाल करने शुरू कर दिए। इस दौरान छात्रों ने पैसों की अदायगी के बारे में भी उनसे सवाल किए, जिसका वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। उन्होंने छात्रों के अकाऊंट नंबर लेकर उसमें पैसे डालने की बात कही, जिसके बाद छात्रों ने इस संबंध में संस्थान की प्रधानाचार्य से मामले की शिकायत की। 

प्रधानाचार्य द्वारा प्रार्थना पत्र मांगने पर भड़के छात्र
प्रधानाचार्य ने मामले के तूल पकड़ते देख छात्रों से लिखित प्रार्थना पत्र देने को कहा, जिसमें कहा गया था कि वे अपनी इच्छा से इस प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं और उनका कालेज से कोई वास्ता नहीं है। इससे छात्र भड़क गए और अधिकारियों से उनके पहचान पत्र और बूथ पर जाने के लिए सरकारी अनुमति मांगी। छात्रों ने कालेज प्रबंधन पर उनको छलने का आरोप लगाया और उन फर्जी कर्मियों की जांच की मांग की ताकि भविष्य में छात्रों के साथ ठगी न हो। वहीं प्रधानाचार्य डा. निशा ने बताया कि मेरे पास चुनाव आयोग की टीम आई थी जोकि यहीं काम करने वाले कर्मचारी के नेतृत्व में आई थी। मैंने स्वेच्छा से जाने वाले छात्रों से कॉन्सैंट प्रार्थना पत्र ले लिया था। इस मामले में संस्थान का कोई रोल नहीं है। 

संस्थान को दर्ज करवानी चाहिए एफ.आई.आर.
वहीं शिमला ग्रामीण के एस.डी.एम. भूपेंद्र अत्री ने बताया कि बूथों में जाकर रिकार्डिंग करने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। यदि इस तरह का कोई मामला है तो संस्थान को इस मामले में एफ.आई.आर. दर्ज करवानी चाहिए। उधर, डी.सी. शिमला रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि इस तरह का कोई मामला मेरे ध्यान में नहीं है और अगर इस संबंध में कोई शिकायत आती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।