बांध बनने से दो हिस्सों में बंटी जनता, मोटरबोट बनी सहारा

Monday, May 07, 2018 - 03:20 PM (IST)

बंगाणा (शर्मा): 60 के दशक में भाखड़ा में सतलुज नदी पर बांध बनने के बाद कुटलैहड़ क्षेत्र के करीब 20 किलोमीटर एरिया में प्राकृतिक झील बन गई। उसके बाद से झील का पानी चढ़ने से क्षेत्र की जनता 2 भागों में बंट गई, जिस कारण वर्षों से झील क्षेत्र के साथ लोगों को आर-पार जाने के लिए आज भी मोटरबोट सहारा बनी हुई है। झील के रास्ते से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पड़ती है। विस क्षेत्र के अधीन 4 विभिन्न स्थानों से झील के घाट पत्तनों से मोटरबोट के सहारे लोग प्रतिदिन झील आर-पार करते आ रहे हैं। बारिश हो या तूफान, लोगों को झील के रास्ते ही जोखिम उठाकर सफर करना पड़ता है। यहां झील पर लठियाणी-मंदली के मध्य पुल बनाए जाने की मांग तकरीबन उसी समय से क्षेत्रवासियों द्वारा की जाने लगी थी, लेकिन अभी तक 2 भागों में बंटी जनता की मांग परवान नहीं चढ़ सकी है। भाखड़ा से लेकर नलवाड़ी-डुमखर तक गोबिंदसागर झील का पानी आ जाता है। झील बनने से क्षेत्र की उपजाऊ भूमि पानी में समा गई थी। क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।


विस्थापितों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों
राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष देसराज मौदगिल का कहना है कि भाखड़ा डैम बनने से कुटलैहड़ क्षेत्र की सोलासिंगीधार तथा रामगढ़धार के मध्य झील बनने से क्षेत्र की जनता 2 भागों में बंटकर रह गई है। इसके साथ प्रदेश सरकार कुटलैहड़ के भाखड़ा बांध विस्थापितों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाए। क्षेत्र की जनता की सुविधा हेतु झील पर पुल और पानी उठाने की अनुमति मिलना आवश्यक है।


हाईवे का निर्माण जल्द शुरू हो 
सेवानिवृत्त शिक्षक एवं समाजसेवी बलदेव कुटलैहडिय़ा का कहना है कि गोबिंदसागर झील पर लठियाणी-मंदली के बीच पुल बनने से कुटलैहड़ एक अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। प्रदेश सरकार नए नैशनल हाईवे की निर्माण प्रक्रिया जल्द शुरू करवाए ताकि कुटलैहड़ की जनता का झील पर पुल बनने का सपना साकार हो सके।


झील पर पुल बनने से दूरी होगी कम 
ऊना से पीरनिगाह, बीहड़ू-लठियाणी होकर नए नैशनल हाईवे के निर्माण की स्वीकृति मिली है। इस हाईवे की निर्माण प्रक्रिया में गोबिंदसागर झील पर पुल बनाए जाने की भी प्रपोजल है। इस पुल का निर्माण होने से ऊना-हमीरपुर के मध्य करीब 21 किलोमीटर की दूरी कम हो सकती है। मेलों के दौरान क्षेत्र में झील के रास्ते प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में लोग व श्रद्धालु आते-जाते हैं। पीरनिगाह व नयनादेवी धार्मिक स्थलों से माथा टेककर बाबा बालक नाथ मंदिर जाने वाले दोपहिया वाहनों वाले श्रद्धालु सफर कम होने पर झील के रास्ते आर-पार करके जाते हैं। 


झील के बावजूद पानी को तरसती है जनता 
कुटलैहड़ विस क्षेत्र की अप्पर बैल्ट के करीब 20 किलोमीटर क्षेत्र में प्राकृतिक झील का पानी भर जाता है। बावजूद इसके सोलासिंगीधार तथा रामगढ़धार क्षेत्र के गांवों की जनता को आज भी पेयजल को तरसना पड़ता है। झील से प्रदेश की जनता को पानी उठाने की इजाजत नहीं है। दूसरी तरफ इसी झील का पानी पंजाब, हरियाणा व राजस्थान समेत अन्य बाहरी राज्यों को जाता है। कुटलैहड़ की जनता जानना चाहती है कि ऐसा उनके साथ क्यों है? यहां झील के पानी से कोई बड़ी पेयजल योजना बन जाती तो आज कुटलैहड़ क्षेत्र की अप्पर बैल्ट की करीब 30 पंचायतों के दर्जनों गांवों में पीने के पानी के साथ सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध होने से बंजर खेतों में हरियाली छा जाती। 

Ekta