पवित्र ब्यास की दुखद कहानी, कहीं खुले में शौच तो कहीं सीवरेज का पानी

Sunday, Oct 07, 2018 - 11:39 AM (IST)

कुल्लू : स्वच्छता में अव्वल कुल्लू व मंडी जिलों से गुजरने वाली पवित्र ब्यास नदी अब गंदगी के बोझ से बेहाल होने लगी है। रोहतांग के पास व्यास कुंड से निर्मल व स्वच्छ रूप में निकलने वाली ब्यास नदी जो न केवल ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है मात्र कुछ ही किलोमीटर दूर जाकर इतनी दूषित एवं मैली हो जाती है कि इसके पानी का प्रयोग ही नहीं किया जा सकता।

मनाली होकर पतलीकूहल, कटराईं व कुल्लू होते हुए मंडी की ओर बढऩे वाली ब्यास कहीं भी साफ-सुधरी नहीं दिखती। कहीं लोग इसमें कचरा फैंक रहे हैं तो कहीं खुले शौच। कुल्लू, मंडी,हमीरपुर व कांगड़ा जिलों में बहने वाली ब्यास नदी पर लगभग 20 पेयजल और सिंचाई योजनाएं हैं जो हजारों लोगों की प्यास बुझा रही हैं। छोटी योजनाएं हैं सो अलग। कुल्लू के बुजुर्ग टी.डी. ठाकुर, ओम प्रकाश, सुदर्शन कुमार व नीरत शर्मा की मानें तो एक समय ऐसा था जब ब्यास का जल पीने योग्य साफ-सुधरा हुआ करता था।

लंकाबेकर गौसदन में सेवा करने वाले रोहित राणा, अक्षय, सचिन, ईशान, सुमित, विशाल, नितिन व गौरव का कहना है कि हम पिछले कई दिनों से सीवरेज के चैम्बर से गंदगी को बहता देख रहे हैं। यह गंदगी दिन-रात तीव्र गति से ब्यास नदी में जाकर मिल रही है। उनका कहना है कि कॉलेज की तरफ से तो कभी लंकाबेकर में ऊपर की तरफ से आने वाली सीवरेज की पाइपें ब्लॉक हो रही हैं जिससे यह क्षेत्र दूषित हो चुका है। आई.पी.एच. के अधीक्षण अभियंता के.आर. कुल्लवी का कहना है कि चैम्बर को भी जल्द ठीक कर लिया जाएगा।  
 

kirti