बाली बोले- मिशन रिपीट का जवाब मुख्यमंत्री या प्रदेशाध्यक्ष ही दे सकते हैं

Saturday, Jun 17, 2017 - 08:25 AM (IST)

नगरोटा बगवां से 4 बार विधायक रहे परिवहन मंत्री जी.एस.बाली किसी परिचय के मोहताज नहीं। वह अपनी दबंग छवि और बेबाक टिप्पणियों को लेकर प्राय: सुर्खियों में रहते हैं। अपने उसूलों से उन्हें समझौता किसी भी सूरत में पंसद नहीं। इसके परिणामस्वरूप वह कई बार अपनी ही सरकार को घेरते रहे हैं। ऐसे में कई बार वह मुख्यमंत्री के निशाने पर भी रहे हैं। वीरभद्र सिंह सरकार में जी.एस. बाली एक ऐसे मंत्री हैं जिन्होंने सबसे पहले जोर-शोर से बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का मामला उठाया और इसमें वह सफल भी रहे। जी.एस.बाली ने नगरोटा बगवां से 1998 में पहली बार प्रदेश विधानसभा में कदम रखा। तब से लेकर आज तक उन्होंने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रदेश की राजनीति में उनके रोल, कांग्रेस के मिशन रिपीट व अन्य मुद्दों पर  जब उनसे पंजाब केसरी के पत्रकार पंकज राक्टा ने बात की तो उन्होंने कई सवालों का जवाब बड़ी बेबाकी से दिया। हालांकि कई सवालों के जवाब से वह बचते भी रहे। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के अंश...


आपको सी.एम. की दौड़ में शामिल कहा जाता है, इसमें कितनी सच्चाई है?
सी.एम. की कुर्सी अभी खाली नहीं है, माननीय वीरभद्र सिंह सी.एम. की कुर्सी पर काबिज हैं और वह अपना काम कर रहे हंै। जब सी.एम. की कुर्सी खाली होगी तो सहीं समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा और जवाब दिया जाएगा। दौड़ तब होती है जब कोई कुर्सी खाली हो।


मंत्रिमंंडल की बैठक में सहयोगी मंत्रियों के साथ आपकी नोकझोंक के मामले सामने आते रहे हैं। मंत्री पद छोड़ने की धमकी आपने दी, क्या कारण रहे?
मैं धमकी नहीं देता, धमकी देना मेरा काम नहीं है? इश्यू बेस्ड बात आई है तो मैंने रिजाइन देने की परमिश्न मांगी थी कांगे्रस अध्यक्ष से जिन्होंने उसे ठुकरा दिया था.. ...मैंने धमकी नहीं दी। कैबिनेट में सहयोगी मंत्रियों से नोकझोंक होने की बात कहना सही नहीं है। कैबिनेट में सिर्फ मुद्दों पर बात होती है। हां, यह जरूर है कि मैं अपनी बात बेबाक होकर कहता हूं। जो मुझे कहना है, जो मैं समझता हूं कि ठीक है, वह मैं बेबाक होकर कहता हूं और पूरी तरह से कहता हूं, स्पष्ट शब्दों में कहता हूं और आगे भी कहता रहूंगा। लोकहित से जुड़े मामले में मुझे कोई बोलने से रोक नहीं सकता। 


कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में मिशन रिपीट कर सकती है या नहीं? इसका जवाब तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ही दे सकते हैं। मैं इस विषय पर अपने आप को शामिल नहीं करना चाहता। बस इतना ही कहूंगा। 
सी.एम. से कई बार विभिन्न मुद्दों पर आपके मतभेद हुए, आपने बेरोजगारीयात्रा भी निकाली, क्या कहेगें? देखिए इश्यू था, बेरोजगारों का, मैंने बेरोजगारों के लिए यात्रा की, उसके बाद हमने कहा कि बेरोजगारी भत्ता होना चाहिए, सी.एम. ने बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर दी। ऐसे में यह इश्यू खत्म हो गया। हंसते हुए बोले, इस पिक्चर की यह हैप्पी एंडिंग हुई है। घोषणा पत्र में जो वायदा किया था, वह पूरा होना चाहिए था, अन्य भी ऐसे मानते थे। मैं आगे आया और सरकार ने अपना वायदा निभाया। 


कांगड़ा जिला को बांट कर नए संगठनात्मक जिला बनाए गए, आपने विरोध किया, क्या कहेंगे? 
मैं आज भी संगठनात्मक जिला के खिलाफ हूं। मैं आज भी मानता हंू कि पार्टी ने जो नए संगठनात्मक जिला का कदम उठाया था, वह सही नहीं था और जल्दबाजी में उठाया गया कदम था। कहना चाहूंगा कि मैं किसी भी सूरत में कांगड़ा के विभाजन के पक्ष में नही हूं। मैं किसी भी घर को तोडऩे के लिए उठाए गए कदम को सही नहीं मानता। जिला कांगड़ा की जो कांग्रेस अध्यक्ष थी, वह चुनाव प्रक्रिया के तहत चुनकर आई थी। ऐसे में चुनी हुई अध्यक्ष को बिना चुनाव के नहीं बदला जा सकता लेकिन यहां तो सारा उलटा-पुलटा कर दिया। 


जिला कांगड़ा के 2 नेता आप पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से छींटाकशी करते रहे हैं। क्या कहेंगे, जब अपनी ही पार्टी के नेता आप पर निशाना साध रहे हों? सोशल मीडिया पर भी टिप्पणी कर रहे हैं?
कांगड़ा की जनता और हिमाचल की जनता मुझे भी जानती है, बाकियों को भी जानती है। जो बोलते हैं, उन्हें बोलने दो। मुझे फर्क नहीं पड़ता। बस इतना ही बोलूंगा। जनता समझदार है, लग जाएगा पता, ज्यादा दिनों की बात नहीं है। सोशल मीडिया का जवाब तो कोर्ट में होगा।  


धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाया गया है।  जो सुविधाएं अभी मिल रही हैं, उन्हेें कैसे देखते हैं? 
धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने का हमने स्वागत किया है। कांगड़ा राजनीतिक और भौगोलिक तौर पर सबसे बड़ा जिला है। इसके साथ ही कांगड़ा का अपना ऐतिहासिक महत्व है पर दूसरी राजधानी को इनप्रैक्टीकल दूसरी राजधानी टाइप होना चाहिए ताकि लोगों की अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके। मैं सुविधाओं में किसी कमी की बात नहीं कर रहा। जो बनी और बनाई हैं, उनको देखना है, क्या सभी सुविधाएं उपलब्ध हो गईं। 


सत्ता-संगठन में चल रहे विवाद पर आप क्या कहेंगे, दिल्ली तक अदरूनी लड़ाई पहुंची? 
दिल्ली तक कोई लड़ाई नहीं पहुंची। सत्ता अपना काम कर रही है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। यहां पार्टी के जो सबसे सीनियर लीडर हैं, वे सरकार को हैंडल कर रहे हैं इसलिए उनका कद इतना ऊंचा है कि बाकियों को भी उनके साथ तालमेल बनाकर चलना चाहिए। संगठन अपना काम करे लेकिन सीनियर लीडर्स को भी विश्वास में ले और उनकी राय ले। पार्टी को सीनियर लीडर की राय लेने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।  


केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह से आपकी नजदीकियां रही हैं। कई बार चर्चा में आया आप भाजपा में जा सकते हैं, क्या कहेंगे? 
चौधरी विरेंद्र सिंह कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं और उनके साथ मेरे मधुर संबंध हैं लेकिन भविष्य की राजनीति के  बारे में कोई टिप्पणी मैं नहीं करता। मुस्कुराते हुए बोले, चौधरी विरेंद्र सिंह ही नहीं, भाजपा और माकपा के राकेश सिंघा से भी मेरे मधुर संबंध हैं। 


सी.एम. से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों को भाजपा मुद्दा बना रही है, क्या कहेंगे? 
देखो सी.एम. से जुड़ा मामला कोर्ट में है। ऐसे में सभी को चाहिए कि वे संबंधित मामलों पर टिप्पणी न कर अदालत के निर्णय आने का इंतजार करें। किसी के कहने से कोई दोषी नहीं बन जाता है।


डिपुओ में राशन की कमी के मामले उठते रहे हैं, क्या कहेंगे? 
ऐसा है कि कई बार किसी एक दाल का सिंगल ही टैंडर आता है या फिर रेट में बात नहीं बनती है। ऐसे में टैंडर कैंसिल करना पड़ जाता है। इसके बाद फिर टैंडर होता है जिससे कई बार दिक्कतें आती हंै लेकिन हमने सुनिश्चित किया है कि यदि उपभोक्ता को किसी माह कोई सामान न मिले तो उसे वह सामान अगले माह प्रदान किया जाता है। भारत सरकार ने चीनी पर सबसिडी बंद कर दी थी पर  हमने निर्णय लेकर उसे दोबारा से शुरू कर दिया है।