बाला सुंदरी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए कपड़े से अब तैयार होंगे 1 लाख थैले

Thursday, Oct 10, 2019 - 09:34 AM (IST)

नाहन (साथी): स्वच्छता और स्वास्थ्य का दुश्मन बन चुके पॉलीथीन से छुटकारा पाने के लिए सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं। स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे भी रैलियों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अब लोगों को कपड़े के थैले प्रयोग करने की आदत डालने व बाजार से पॉलीथीन बैग में सामान भरकर लाने की मानसिकता को बदलने को लेकर एक नई पहल उत्तर भारत के दिव्य शक्तिपीठ महामाया बाला सुंदरी मंदिर ट्रस्ट ने की है। ट्रस्ट के गोदामों में सालों से महामाया के दरबार में भक्तों द्वारा चढ़ाया जाने वाला कपड़ा जमा पड़ा है। हाल ही में मंदिर न्यास के अध्यक्ष एवं डी.सी. सिरमौर डा. आर.के. परूथी ने यह पहल की है ताकि कपड़े का प्रयोग हो सके। सालाना लाखों भक्त महामाया के दरबार में चढ़ावे के रूप में कपड़ा व अन्य सामान अर्पित करते हैं।

एक लाख थैलों का टारगेट

मंदिर न्यास ने जिला सिरमौर में चल रहे 2300 के करीब स्वयं सहायता समूहों को एक लाख कपड़े के थैले बनाने का टारगेट दिया है। जैसे-जैसे थैलों की खेप तैयार होकर मिलनी शुरू होगी, वैसे-वैसे थैलों का वितरण जिला प्रशासन करेगा। फिलहाल एक लाख थैले बनाए जाने का टारगेट रखा गया है। थैलों का वितरण पहले किस क्षेत्र में होगा, सालाना कितने थैलों का निर्माण होगा, यह प्लान अभी बनना बाकी है लेकिन यह तय है कि कपड़े के थैलों का आने वाले समय में प्रचलन बढऩे से बाजारों में व्यापारियों द्वारा ग्राहकों को दिए जा रहे पॉलीथीन के बैग स्वयं प्रयोग में आने बंद होंगे।

नॉन वोवन थैला भी खतरनाक

पॉलीथीन पर प्रतिबंध लगने के बाद पिछले कई वर्षों से प्रदेश में नॉन वोवन मैटीरियल का थैला ग्राहकों व दुकानदारों की पहली पसंद बना है। ज्यादातर ग्राहक इसे कपड़े का थैला मानकर प्रयोग करते हैं। दुकानदार भी इसका धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं। वास्तव में नॉन वोवन थैला स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्योंकि यह थैला प्लास्टिक की खाली बोतलों के पाऊडर व कैमिकल से तैयार होता है।

 

kirti