Watch Video: सेब बागवानों के लिए बुरी खबर, एक खतरा जो तोड़ रहा कारोबार की कमर

Friday, Dec 01, 2017 - 03:43 PM (IST)

शिमला: सेब का कारोबार हिमाचल की आर्थिकी में रीढ़ की हड्डी माना जाता है। लाखों लोग सेब के कारोबार से जुड़ कर अपने परिवार के लिए रोजी रोटी कमा रहे हैं। लेकिन अब इस कारोबार को नजर लग गई है, जिससे सेब पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। सेब बागवान अपना कारोबार बढ़ाने के लिए ज्यादा पौधे लगा रहे हैं लेकिन गुणवत्ता और पैदावार के लिहाज से जलवायु परिवर्तन खतरा बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है कि बर्फबारी वाले इलाकों में ओलावृष्टि बढ़ रही है। यही नहीं बर्फबारी के ट्रेंड और तापमान में लगातार बदलाव आ रहा है। 


मौसम में बदलाव सेब बागवानों की चिंता का बना सबब
देशभर में कुल सेब उत्पादन की 21 फीसदी पैदावार हिमाचल में होती है, लेकिन मौसम में बदलाव सेब बागवानों की चिंता का सबब बन गया है। राज्य की बेहतर गुणवत्ता और पैदावार के लिए ठंड बेहद जरूरी है लेकिन घटता सर्दी का मौसम खतरा बन रहा है। इसके कई गंभीर परिणाम दिख रहे हैं। हर साल सेब के चिलिंग आवर में 6 घंटे की कमी हो रही है। चिलिंग आवर कम होने से सेब का आकार छोटा हो रहा है। यही नहीं उत्पादन भी कम हो रहा है। 


1500-2000 मीटर की ऊंचाई भी सेब बागवानी के लिए अनुकूल नहीं
पिछले 20 साल में सेब का उत्पादन 9.40 टन प्रति हेक्टेयर कम हुआ है। नौणी विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग के मुताबिक मौसम में बदलाव के चलते 1500-2000 मीटर की ऊंचाई भी सेब बागवानी के लिए अनुकूल नहीं रही। साल 1995 के बाद सेब की खेती 2200-2500 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गई है। इसी का असर है कि सेब का उत्पादन शिमला, कुल्लू, चंबा, किन्नौर और स्पिति के ऊंचाई वाले इलाकों तक सीमित हो गया है। आने वाले साल में जब मौसम और बदलेगा तब क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।