पक्की सड़क को तरस रहे रक्कड़ गांव के बाशिंदे, 6 वर्षों में तारकोल नहीं बिछा पाया PWD

Saturday, Jun 09, 2018 - 02:13 PM (IST)

ऊना(अमित):नंगल-तलवाड़ा रेलवे ट्रैक बनने के कारण ऊना मुख्यालय के साथ सटा रक्कड़ गांव दो हिस्सों में बंट गया था। जिस कारण लोगों के घर रेलवे लाइन के एक तरफ ओर भूमि दूसरी तरफ हो गई। रेलवे लाइन के बनने से रक्कड़ गांव के बाशिंदों को घर और खेतों में पैदल आने जाने के लिए तो 100-200 मीटर का सफर है। लेकिन अगर इन्होने कोई वाहन लेकर जाना हो तो इन्हे 8 से 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। वहीँ रेलवे ट्रैक के दोनों और PWD विभाग आज तक इन लोगों को पक्की सड़क की सुविधा तक भी मुहैया नहीं करवा पाया है। ग्राम पंचायत टब्बा की रक्कड़ कालोनी जिला ऊना का सबसे पॉश एरिया माना जाता है और जिस रक्कड़ गांव के नाम पर इस कॉलोनी का नाम पड़ा है वो आज भी विभाग की अनदेखी पर आंसू बहाने को मजबूर है। रक्कड़ में जहां-जहां भी सरकारी या निजी कॉलोनी का निर्माण होता है। वहां तो पक्की सड़क पहुंच जाती है लेकिन गांव में बसने वाले लोग बरसातों के मौसम में पक्की सड़क न होने के कारण परेशानियों से घिर जाते है।

6 साल में 600 मीटर सड़क पर तारकोल नहीं बिछा पाया
PWD विभाग द्वारा इस सड़क को पक्का करने और गांव के दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ने के लिए रेलवे ट्रैक के ऊपर पुल बनाने का मसौदा तैयार किया था लेकिन यह सब सरकारी कागजों में ही गुम होकर रह गया। PWD विभाग द्वारा सड़क को पक्की करने के लिए 6 साल पहले इसकी टायरिंग तो कर दी लेकिन विभाग इन 6 सालों में 600 मीटर सड़क पर तारकोल नहीं बिछा पाया। स्थानीय लोगों की माने तो उनके पूर्वजों ने गांव में सड़क के लिए सरकार को 32 कनाल भूमि दी थी उसके बाबजूद भी उन्हें सड़क उपलब्ध नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि इस बारे कई बार नेताओं और अधिकारीयों के समक्ष उन्होंने आवाज उठाई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर अब भी सरकार और विभाग का रवैया ऐसा ही रहा तो वो अपनी 32 कनाल भूमि को वापिस लेने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। 

kirti