धर्मशाला की हॉट सीट पर आजाद तय करेंगे सरदारी

Thursday, Apr 08, 2021 - 10:38 AM (IST)

धर्मशाला (तनुज) : प्रदेश की सत्ता में राजनीतिक पार्टियों को सरकार बनाने के लिए अहम कांगड़ा जिला की 2 नगर निगमों में बुधवार को हुए चुनाव ने भाजपा-कांग्रेस को झटका दिया है। सत्ताधारी दल को जहां पालमपुर में निराशा हाथ लगी, वहीं धर्मशाला में संजीवनी मिली है। प्रदेश की दूसरी राजधानी का दर्जा प्राप्त करने वाली धर्मशाला में नगर निगम के दूसरे चुनाव में भाजपा समर्थित पार्षदों की जीत का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही पहली बार बने नगर निगम पालमपुर में सत्ताधारी दल के 2 ही पार्षद अपनी जीत दर्ज करवा पाए हैं। विधानसभा-2022 से पहले कांगड़ा दुर्ग को भेदते हुए सत्ता में काबिज होने का दम भरने वाली भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हुई है और कांग्रेस को इन चुनावों से उम्मीद बंध गई है। भले ही पालमपुर में कांग्रेस के काबिज होने की स्थिति स्पष्ट हो गई है, लेकिन धर्मशाला में भाजपा को अभी भी सरदारी लेने को आजाद प्रत्याशियों की राह ताकने पड़ रही है। नगर निगम धर्मशाला के चुनाव में कांग्रेस के नेता विधानसभा चुनावों व उप चुनावों में मिली हार को नगर निगम के चुनाव को जीतकर अपनी साख को बचाने में लगे थे। वहीं भाजपा के नेता जिला परिषद व बी.डी.सी. चुनावों में धर्मशाला में कोई भी सीट हासिल न करके इन चुनावों में अपना वर्चस्व बनाने में लगे थे। पालमपुर में भी भाजपा विधानसभा चुनाव में मिली हार को नगर निगम चुनाव को जीत पार्टी की स्थिति ठीक करने में लगी थी।

पार्टी से निष्कासित सदस्यों की होगी वापसी?

धर्मशाला नगर निगम के चुनाव नतीजे आने के बाद हॉट सीट पर काबिज होने के लिए दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के नेता सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी नियमों की अवहेलना कर आजाद उम्मीदवारों की सदस्यता को रद्द करने के बाद इनको अपने साथ जोड़ने के लिए नियमों में किस तरह का फेरबदल किया जाता है, इस पर भी अब नजर टिक गई है। भाजपा को जहां 1 पार्षद का समर्थन चाहिए वहीं कांग्रेस को अभी 4 पार्षदों को अपनी तरफ लाने के लिए जोड़-तोड़ करना होगा। हालांकि निगम के चुनावों में भले ही 4 आजाद प्रत्याशी जीते हैं, उनमें से 2 कांग्रेस से नाराज व 1 भाजपा से नाराज होकर चुनाव में उतर कर अपनी जीत दर्ज करवा चुका है। अब निगम की हॉट सीट पर कब्जा जमाने के लिए पूरी तरह से आजाद प्रत्याशी पर दोनों राजनीतिक दलों की नजर बनी हुई है।

गुटबाजी से टिकट चयन बना प्रत्याशियों की हार का कारण

नगर निगम चुनाव में भले ही भाजपा-कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई हो लेकिन विधानसभा की चली गुटबाजी भी दोनों दलों पर हावी रही। निर्वतमान नगर निगम धर्मशाला की कार्यकारणी 14 सदस्यों वाली कांग्रेस समर्थित थी, जिसे अब सिर्फ 5 सीटों पर ही स्पष्ट तौर पर जीत मिली। वहीं, निर्वतमान 3 पार्षदों के साथ धर्मशाला नगर निगम में कार्य कर रही भाजपा को 8 सीटें बुधवार को मिली हैं पर स्थानीय दिग्गज भाजपा नेताओं द्वारा सुझाए गए पार्षदों के न जीतने के बाद कई सवाल खड़े होते हैं।

स्थानीय दिग्गज नेताओं की अनदेखी भी पड़ी भारी

धर्मशाला नगर निगम चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियों द्वारा 17 वार्डांे में अपनी जीत को लेकर दावा किया जा रहा था। लेकिन स्थानीय नेताओं की अनदेखी भी चुनाव में भारी पड़ी है। निगम प्रचार के दौरान स्थानीय नेता की अनुपस्थिति व बाहरी नेता की चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी भी इस चुनाव में मतदाताओं को अखरी है। यही कारण है कि भाजपा व कांग्रेस के स्थानीय नेताओं द्वारा सुझाए गए प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा है।

पालमपुर में टिकट आवंटन से लगा झटका

पालमपुर नगर निगम के चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को भारी झटका लगा है। पालमपुर नगर निगम चुनावों में भाजपा को गलत टिकट आवंटन भारी महंगा पड़ा है। टिकट आवंटन के बाद ही ऐसा संदेश चला गया था कि इस गलत टिकट आवंटन के चलते अब अब कांग्रेसी की राह आसान हो गई है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के चार बागी प्रत्याशीओ ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। इस इस विकट स्थिति में आजाद प्रत्याशियों को चुनावी रण से हटाने की हटाने में भाजपा नेता सफल नहीं हो पाए। भाजपा के नेताओं नेे चुनाव जीतने के लिए पूरी कोशिश की लेकिन मुद्दों के आगे विपक्ष बाजी मार गया। चुनावों से पहले भाजपा और कांग्रेस के कड़े मुकाबले की बात कही जा रही थी लेकिन लोगों में एक तरफा निर्णय देकर भाजपा को चित कर दिया सत्ता में काबिज भाजपा की है बहुत बड़ी हार मानी जा रही है भाजपा के बड़े वरिष्ठ नेता  पालमपुर में प्रचार के लिए पहुंचे थे, लेकिन इन चुनावों में भाजपा को पालमपुर की जनता ने नकार दियाा। इन चुनावों से यह जाहिर हुआ है कि लोगों का सत्तारूढ़ दल से जबरदस्त नाराजगी है। वही कांग्रेस के टिकट आवंटन पूरा दारोमदार कांग्रेस हाईकमान ने स्थानीय विधायक आशीष बुटेल के ऊपर छोड़ रखा था जिसके चलते जिसके चलते वह इतनी बड़ी जीत दर्ज करने में सफल हुए हैं। वार्ड नंबर 3 से सिर्फ एक टिकट उनकी मर्जी से नहीं दिया गया था वहां से भी उनके आजाद प्रत्याशी दिलबाग सिंह विजयी हुए। 

Content Writer

prashant sharma