आयुर्वेद कॉलेज पपरोला के इतिहास में पहली बार छात्रों को प्रैक्टिकल में फेल करने पर विवाद

Wednesday, Aug 28, 2019 - 10:59 AM (IST)

धर्मशाला (सौरभ): राजीव गांधी राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पपरोला के इतिहास में पहली बार बी.ए.एम.एस. अंतिम वर्ष के शल्य तंत्र विभाग के 6 विद्यार्थियों को प्रैक्टीकल में फेल करने पर विवाद पैदा हो गया है। इनमें से 5 विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कालेज प्रबंधन, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और शल्य तंत्र विभाग के विभागाध्यक्ष से 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। प्रैक्टीकल में फेल हुए विद्यार्थियों में 3 छात्राएं और 2 छात्र हैं। 

हाईकोर्ट में दायर याचिका में विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि थ्यूरी में उन्होंने 70 फीसदी अंक हासिल किए हैं लेकिन बीते मई माह में हुए प्रैक्टीकल में विभागाध्यक्ष ने भेदभावपूर्ण तरीका अपनाते हुए उन्हें फेल कर दिया, जिससे उनका एक साल बर्बाद होने की कगार पर है। इसके चलते वे मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले विद्यार्थियों के वकील विनय शर्मा ने बताया कि शल्य तंत्र विभाग के अंतिम वर्ष की 3 छात्राओं रुही शर्मा, रूपम भारद्वाज, नितिन राठौर और 2 छात्रों अमितेष मेहरा एवं साहिल कुमार को प्रैक्टीकल में 100 में से 35 से 40 अंक दिए गए जबकि पास होने के लिए कम से कम 50 अंक प्राप्त करना अनिवार्य हैं। प्रैक्टीकल में फेल होने के चलते इन विद्यार्थियों की इंटर्नशिप पर संकट खड़ा हो गया है। शल्य तंत्र विभाग में कुल 43 विद्यार्थियों ने प्रैक्टीकल दिया था जिसका परिणाम बीते जुलाई में घोषित किया गया था।

एंट्रैंस में किया टॉप, थ्यूरी में 70 फीसदी अंक

वकील विनय शर्मा ने कहा कि पांचों विद्यार्थियों ने बी.ए.एम.एस. कोर्स के पहले साल थ्यूरी में ओवरआल 70 फीसदी, दूसरे व तीसरे साल 80 फीसदी और चौथे एवं अंतिम साल 70 फीसदी अंक हासिल किए हैं। इनमें से रूही शर्मा ने बी.ए.एम.एस. प्रवेश परीक्षा में टॉप किया था जबकि अन्य विद्यार्थियों का भी पिछली कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन रहा है। ऐसे में इन विद्यार्थियों का प्रैक्टीकल में फेल होना हैरानी की बात है। हाईकोर्ट ने प्रैक्टीकल से जुड़ा तमाम रिकार्ड 2 सप्ताह के अंदर तलब किया है।

 

Ekta