एशिया का सबसे पुराना है ये स्कूल, कई राजनेताओं ने प्राप्त की है शिक्षा

Monday, Oct 15, 2018 - 02:58 PM (IST)

शिमला (प्रीति): क्वीन विक्टोरिया के कहने पर भारत में 3 स्कूल खोले गए थे, जिनमें एक शिमला का बी.सी.एस. स्कूल भी था जबकि 2 स्कूल नागपुर और बैंगलोर में खोले गए थे। इन स्कूलों को खोलने के लिए क्वीन विक्टोरिया ने बिशप जार्ज एडवर्ड लिंच कॉटन को भारत भेजा था। कॉटन ने 28 जुलाई, 1859 में इस स्कूल की आधारशीला रखी थी जबकि स्कूल शिमला के जतोग में 15 मार्च, 1863 में शुरू किया गया था। फैडरिक नायलर स्कूल में दाखिला लेने वाले पहला छात्र था।


ये स्कूल एशिया का सबसे पुराना
पहले साल स्कूल में 35 बच्चे थे जबकि एक साल बाद स्कूल में छात्रों की संख्या 65 पहुंच गई थी। इसके बाद ये स्कूल बी.सी.एस. शिफ्ट किया गया था। वर्ष 1964 के बाद साल दर साल छात्रों की संख्या बढ़ती रही है। ये स्कूल एशिया का सबसे पुराना है। इस स्कूल ने कई सितारे तैयार किए, जो राजनीति, उद्योग जगत, खेल, साहित्य, सेना व फिल्मी जगत में नाम कमा चुके हैं। इनमें 6 बार हिमाचल के मुुख्यमंत्री व एक बार केंद्रीय मंत्री रहे वीरभद्र सिंह, पद्मविभूषण रत्न टाटा, गोल्फर जीव मिल्खा सिंह सहित अनेक विभूतियां इस स्कूल से निकली हैं। 


जमीन से जुड़े रहने का सिखाया जाता है पाठ: राबिन्सन 
बी.सी.एस. स्कूल के हैडमास्टर आर.सी. राबिन्सन का कहना है कि इस स्कूल में छात्रों को स्कूल के साथ, उन्हें जमीन से जुड़ा रहना भी सिखाया जाता है, उन्हें मानवता का पाठ भी पढ़ाया जाता है, ताकि आगे चलकर वे देश व समाज की सेवा कर सकें। यही कारण है कि इस स्कूल से पढ़कर निक ले छात्र आज कई क्षेत्रों में उच्च पदों पर आसीन हैं। 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह, रत्न टाटा व डी.सी. आनंद सहित कई नामी हस्तियां इसी स्कूल की देन हैं। खेल व सेना में भी यहां के छात्र नाम कमा चुके हैं। 159 वर्ष पुराने स्कूल का गौरवमयी इतिहास रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय स्कू ल परिसर में छात्रों व शिक्षकों की सहयोग से एक प्राथमिक स्कूल चलाया जा रहा है। जहां गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

1965 और 1971 भारत -पाकिस्तान के युद्ध में एयर चीफ मार्शल प्रताप चंद्र लाल थे एयर स्टाफ के मुखिया
वर्ष 1965 और 1971 भारत -पाकिस्तान के युद्ध में बी.सी.एस स्कूल के छात्र एयर चीफ मार्शल प्रताप चंद्र लाल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इन दोनों युद्ध में वे एयर स्टाफ के चीफ थे, उनकी अगुवाई में वायु सेना ने ये लड़ाई लड़ी थी। वायु सेना में उन्होंने वर्ष 1939 से 1973 तक सेवाएं दी थी। अपनी उत्कृष्ठ सेवाएं के लिए वे पदम विभुषण, पदम विभुषण सम्मानित किए गए थे। इसके अलावा भारत सेना के लैफिटनेट जनरल दीवान चंद, जिन्होंने यू.एन. में बतौर फोर्स कमांडर भी सेवाएं दी है। वे भी इसी स्कूल के छात्र थे। इसके अलावा  भी इस स्कूल के कई सितारों ने सेना में उच्च पदों पर रहते हुए देश की रक्षा की।  

एस. सलीटर थे स्कूल के पहले मुख्याध्यापक 
वर्ष 1863 में बी.सी.एस. स्कूल के पहले मुख्याध्यापक एस.सलीटर थे। वे 1885 तक स्कूल के मुख्याध्यापक रहे थे। जानकारी के मुताबिक जतोग में ये स्कूल शुरू किया गया था। तत्कालीन वॉयसराय ने इस स्कूल के लिए भवन की सुविधा मुहैया करवाई थी, लेकिन बाद में इस स्कूल के लिए 3 निजी भवन खरीदे गए थे। लिंच काटन ने इंडिया पब्लिक स्कूल फंड से इसके लिए 17 हजार रुपए उपलब्ध करवाए गए थे। वर्ष 1868 में स्कूल को इसकी मौजूदा स्थान यानि बी.एस.एस शिफ्ट किया गया था। जानकारी के मुताबिक वर्ष 1905 में स्कूल में आग लगी थी, जिससे स्कूल का भवन जल की राख हो गया था। इसके बाद 1907 में स्कूल का नया भवन तैयार किया गया था। पुराने भवन की तर्ज पर यानि गोथिक शैली में ही स्कूल का नया भवन तैयार किया गया, तो वर्तमान में मौजूद है। 

हिमाचल के कई राजनेताओं सहित देश-विदेश की विभूतियों ने इसी स्कूल से प्राप्त की है शिक्षा
इस स्कूल से हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा पूर्व सी.पी.एस. व एम.एल.ए  विनय सिंह, पूर्व एम.एल.ए. विजय सिंह मनकोटिया, रोहित ठाकुर, पूर्व उप-महापौर हरीश जनार्था ने भी शिक्षा हासिल की है। इसके अलावा नेपाल के पूर्व मंत्री व सांसद पशुपति राना, पंजाब की सांसद सिमरण एस.मान, राजस्थान के विधायक कंवर अरुण सिंह, गुरदर्शन सिंह व पंजाब विधानसभा के पूर्व स्पीकर रवि इंद्र सिह भी इस स्कूल के छात्र रहे हैं। 

पद्म श्री रस्किन बांड ने वर्ष 1943 से 50 तक इसी स्कूल में ली थी शिक्षा 
पदम श्री व पदम विभूषण रस्किन बांड भी इसी स्कूल के छात्र रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1943 वे 50 तक बी.सी.एस. स्कूल में शिक्षा ली थी। मशहूर लेखक रस्किन बांड ने कई किताबें लिखी है, जिनमें द रूम आन द रूफ, द नाइट ट्रेन एट दीयोली एंड, अवर ट्री स्टील ग्रो इन देहरा और ए फ्लाइट आफ पीजल कई किताबें लिखी है। फाली सैम नारीमन सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील ने भी बी.सी.एस. स्कूल से शिक्षा ली है। 

भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री जी.दोरजे व पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव हुमायु खान ने इस स्कूल से ली थी शिक्षा 
वर्ष 1863 में बी.सी.एस. स्कूल के पहले मुख्याध्यापक एस.सलीटर थे। वे 1885 तक स्कूल के मुख्याध्यापक रहे थे। जानकारी के मुताबिक जतोग में ये स्कूल शुरू किया गया था। तत्कालीन वॉयसराय ने इस स्कूल के लिए भवन की सुविधा मुहैया करवाई थी, लेकिन बाद में इस स्कूल के लिए 3 निजी भवन खरीदे गए थे। ङ्क्षलच काटन ने इंडिया पब्लिक स्कूल फंड से इसके लिए 17 हजार रुपए उपलब्ध करवाए गए थे। वर्ष 1868 में स्कूल को इसकी मौजूदा स्थान यानि बी.एस.एस शिफ्ट किया गया था। जानकारी के मुताबिक वर्ष 1905 में स्कूल में आग लगी थी, जिससे स्कूल का भवन जल की राख हो गया था। इसके बाद 1907 में स्कूल का नया भवन तैयार किया गया था। पुराने भवन की तर्ज पर यानि गोथिक शैली में ही स्कूल का नया भवन तैयार किया गया, तो वर्तमान में मौजूद है। 

इस स्कूल से हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा पूर्व सी.पी.एस. व एम.एल.ए  विनय सिंह, पूर्व एम.एल.ए. विजय सिंह मनकोटिया, रोहित ठाकुर, पूर्व उप-महापौर हरीश जनार्था ने भी शिक्षा हासिल की है। इसके अलावा नेपाल के पूर्व मंत्री व सांसद पशुपति राना, पंजाब की सांसद सिमरण एस.मान, राजस्थान के विधायक कंवर अरुण सिंह, गुरदर्शन सिंह व पंजाब विधानसभा के पूर्व स्पीकर रवि इंद्र सिह भी इस स्कूल के छात्र रहे हैं। पदम श्री व पदम विभुषण रस्किन बांड भी इसी स्कूल के छात्र रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1943 वे 50 तक बी.सी.एस. स्कूल में शिक्षा ली थी।

मशहूर लेखक रस्किन बांड ने कई किताबें लिखी है, जिनमें द रूम आन द रूफ, द नाइट ट्रेन एट दीयोली एंड, अवर ट्री स्टील ग्रो इन देहरा और ए फ्लाइट आफ पीजल कई किताबें लिखी है। फाली सैम नारीमन सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील ने भी बी.सी.एस. स्कूल से शिक्षा ली है। वर्ष 1952 में भूटान के प्रधानमंत्री रहे जी.दोरजे भी बी.सी.एस. स्कू ल के छात्र रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव हुमायु खान ने भी इसी स्कूल से शिक्षा हासिल की है। इसके अलावा इस स्कूल के कई छात्र न्यायाधीश के पदों पर आसीन हुए हैं। इसमें जीत लाल, गुजरात में हाईकोर्ट के जज रह चुके वाई.एस. भट्ट, वी.सेन, आर.एस. सोधी, एच.एस. बेदी व एस.एस. सरोन शामिल थे। 

Ekta