किसी भी प्रत्याशी के लिए आसान नहीं इस बार का भोरंज उपचुनाव

Sunday, Mar 26, 2017 - 08:52 AM (IST)

हमीरपुर: विधानसभा चुनाव से पहले दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस व भाजपा के लिए भोरंज उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। एक तरफ इस अभेद्य दुर्ग पर लगातार 7वीं बार जीत दर्ज करने की गरज से जहां भाजपा चुनाव मैदान में उतरी है, वहीं प्रदेश सरकार के साथ कांग्रेस भी अपने सूखे को मिटाने की फिराक में पूरी तैयारी के साथ मैदान में है। अगली सत्ता निर्धारण में अहम रोल निभाने वाले भोरंज उपचुनाव में 3 निर्दलीय उम्मीदवारों की दावेदारी ने भी इस चुनावी जंग को रोचक बना दिया है। दीगर है कि इस सीट पर अब तक राजनीतिक पार्टियों पर ही मतदाता भरोसा जताते आए हैं मगर इस बार का उपचुनाव किसी के लिए भी आसान नहीं है तथा सभी प्रत्याशी स्थानीय मुद्दों के साथ मतदाताओं के बीच डटे हुए हैं।


9 अप्रैल को भोरंज सीट पर चुनाव
गौरतलब है कि इस भोरंज सीट पर चुनाव 9 अप्रैल को हैं। इस सीट पर अब तक 11 चुनाव हुए हैं जिनमें से 6 बार भाजपा, 3 बार कांग्रेस व एक-एक बार जनसंघ व जनता दल ने प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि निदर्लीय के रूप में भी उम्मीदवार उतरे हैं मगर अब तक का चुनावी इतिहास यही बताता है कि किसी तीसरे के साथ भोरंज के मतदाता नहीं गए हैं। रोचक है कि इस बार के भोरंज उपचुनाव में पांचों प्रत्याशी अपनी-अपनी फील्ड के मंझे हुए खिलाड़ी हैं।


पिछली बार कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अनिल धीमान
भाजपा के अनिल धीमान व पिछली बार कांग्रेस के प्रत्याशी रहे इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रमेश डोगरा चिकित्सा जगत में लंबी पारी खेलने के बाद चुनाव मैदान में उतरे हैं, वहीं राजनीतिक शास्त्र में एम.फिल. की डिग्री रखने वाली कांग्रेस उम्मीदवार प्रोमिला देवी अपने राजनीतिक के लंबे अनुभव को लेकर मतदाताओं के बीच में वोट मांग रही है। बतौर निदर्लीय चुनाव मैदान में उतरे पवन कुमार भी स्थानीय निकायों के चुनावों का अच्छे खासे अनुभव के साथ भोरंज सीट पर दावेदारी जता रहे हैं तो लोक प्रशासन में पीएच.डी. कर रही समाजसेवा के जज्बे से लबरेज निर्दलीय उम्मीदवार कुसुम आजाद 26 साल की कम उम्र में ही अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर चुनाव मैदान में हैं।