ऊना के सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन का टोटा

Wednesday, Jun 12, 2019 - 12:48 PM (IST)

ऊना (अमित): प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दम भरने वाले स्वास्थ्य महकमे के दावों की पोल ऊना जिला में खुलती नजर आ रही है। जहां पिछले कई दिनों से एंटी रेबीज इंजेक्शन की किल्लत चल रही है। कुत्ते के काटने पर पीड़ित को लगाए जाने वाले यह इंजेक्शन क्षेत्रीय अस्पताल के साथ-साथ जिला के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी आउट ऑफ स्टॉक हो चुके हैं। कुत्ते के काटने पर जहां सीएचसी व क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में एंटी रेबीज इंजेक्शन नि:शुल्क लग जाता है। वहीं स्टॉक खत्म होने के चलते अब यह बाहर से पीड़ितों को 340 रुपए में खरीदना पड़ रहा है। जबकि कुछ दिनों के अंतराल में पीड़ित को यह टीका चार बार लगवाना पड़ता है। जिससे सीधे तौर पर उन्हें पीढ़ा के साथ जेबें भी ढीली करनी पड़ रही है। 

पीड़ितों की माने तो सरकार को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए और अस्पतालों में जरूरी दवाइयों का पूरा स्टॉक मौजूद रहना चाहिए। स्थानीय लोगों की माने तो साधन सम्पन्न लोग तो बाहर से खरीद कर भी इंजेक्शन लगवा सकते है लेकिन गरीब के लिए यह बहुत मुश्किल है। ऊना जिला में क्षेत्रीय अस्पताल के साथ-साथ आठ सीएचसी स्थापित की गई है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि इन दिनों न तो क्षेत्रीय अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन मिल रहे है और न ही आठों सीएचसी में। अगर मरीज सीएचसी में इंजेक्शन लगवाने जाता है तो उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल भेज दिया जाता है लेकिन जहां आकर भी पीड़ितों के हाथ निराशा ही लग रही है। वहीं स्वास्थ्य विभाग कंपनी से ही इसकी सप्लाई न आने की दुहाई देकर अपनी जान छुड़ा रहा है।

स्वास्थ्य अधिकारी निखिल सहोड़ ने टांडा मेडिकल कॉलेज से 50 इंजेक्शन मंगवाकर इसकी कमी को दूर करने का दावा किया है। बेशक स्वास्थ्य विभाग 5 लाख से अधिक आबादी वाले जिला ऊना में 50 एंटी रेबीज इंजेक्शन टांडा मेडिकल कालेज से मंगवाकर लोगों को राहत देने का दावा कर रहा हो लेकिन यह संख्या नाकाफी है। क्योंकि अक्सर गर्मियों में मौसम में कुत्तों को पागलपन की बीमारी हो जाती है। जिससे कुत्ते राहगीरों को काट लेते है। अगर जिला ऊना की ही बात की जाए तो सप्ताह भर में ऐसे करीब 2 दर्जन मामले सामने आ जाते हैं। जिससे आप स्वंय ही अंदाजा लगा सकते है कि टांडा मेडिकल कालेज से उधारी के यह इंजेक्शन कितने दिनों तक रह पाएंगे।

 

Ekta