अमरनाथ से भी कठिन इस तीर्थस्थल की यात्रा शुरू, 2000 श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना

Saturday, Jul 15, 2017 - 12:12 PM (IST)

कुल्लू: माना जाता है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के बाद सबसे कठिन यात्रा बाबा बर्फानी (अमरनाथ) की है लेकिन क्या आप जानते है कि इसकी यात्रा से भी कठिन भोलेनाथ की एक और यात्रा है। जी हां! हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा के आगे अमरनाथ की चढ़ाई कुछ भी नहीं है। इसकी ऊंचाई जहां 14000 फीट है वहीं श्रीखंड महादेव की ऊंचाई 18570 फीट है। शनिवार को श्रीखंड महादेव की यह यात्रा शुरू हो गई है। बम बम भोले के जयकारों के साथ शनिवार सुबह 200 श्रद्धालु 18570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्री खंड महादेव पवित्र स्थल के दर्शनों के लिए रवाना हो गए। यह यात्रा 25 जुलाई तक चलेगी। 31 जुलाई को सभी जत्थों के वापिस लौटने के बाद यह बंद कर दी जाएगी। यात्रा शुरु होने से पहले बेसकैम्प सिंहगाड में यात्रियों के मेडिकल चेकअप हुआ। सिंहगाड में सभी यात्रियों का 100 रुपए फीस के साथ पंजीकरण हो रहा है। प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य, सुरक्षा और रेस्क्यू किए पुख्ता प्रबन्ध किए गए हैं।थाचडू, भीम डवारी और पार्वती बाग में प्रशासनिक चौकियां स्थापित की गई है। मेडिकल टीम, सुरक्षा कर्मी और रेस्क्यू टीम भी तैनात है।  


आसान नहीं है श्रीखंड यात्रा
हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है। यहां पहुंचने के लिए पैदल ही चलना पड़ता है। निरमंड के जांओं से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है। कई बार तो इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत भी हो चुकी है। यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। 


क्या है पौराणिक महत्व
श्री खंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई। लेकिन विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और उसको अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और वह भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी और पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं। एसडीएम एवं श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष पंकज शर्मा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सरकारी तौर पर यात्रा बंद करने के बाद कोई भी यात्रा पर जाने का जोखिम न उठाएं। अगर कोई जत्था यात्रा बंद होने के बाद भी जाता है तो प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाएगा।