सोलन में AITUC ने जलाईं नए श्रम कानूनों की प्रतियां

Wednesday, Feb 03, 2021 - 05:43 PM (IST)

सोलन (ब्यूरो): जिला सोलन में बुधवार को ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने प्रदर्शन व नारेबाजी की। इस मौके पर मजदूर नेताओं ने कहा कि 4 श्रम कानूनों को यदि मोदी सरकार वापस नहीं लेती है तो सत्य और अहिंसा के साथ इसकी लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान को मोदी और शाह ने नहीं देश के किसानों व मजदूरों ने बनाया है और इन कानूनों के खिलाफ लड़ाई के लिए किसान व मजदूर सड़कों पर भी उतरेंगे। इन मुद्दों को लेकर बुधवार को एटक द्वारा 4 नए श्रम कानूनों की प्रतिलिपियों को जलाकर विरोध जताया गया।  

44 श्रम कानूनों को खत्म कर दिया

एटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार 1 अप्रैल, 2021 को 44 कानूनों को खत्म करके 4 कानून बनाकर मजदूरों पर थोप कर तानाशाही दिखा रही है। उन्होंने कहा कि 4 श्रम कानून लाकर केंद्र की मोदी सरकार अडानी और अंबानी को लाभ पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि जिस संस्थान में 50 तक मजदूर कार्य करते हैं वहां पर सरकार ने इन श्रम संहिताओं को लागू नहीं किया है और उन्हें पूंजीपतियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया है। इस तरह करोड़ों मजदूरों को बंधुआ बनाने का काम सरकार ने कर दिया है। उन्हें हर प्रकार के सेवा लाभों से वंचित कर दिया है।

पूरी तरह से उद्योगपतियों के हित में बनाईं 4 संहिताएं

उन्होंने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, कारखाना अधिनियम 1948, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926, औद्योगिक रोजगार स्थायी आदेश (कानून) 1946, वेतन भुगतान अधिनियम 1948, वेतन भुगतान अधिनियम 1936, मातृत्व लाभ अधिनियम, कामगार मुआवजा अधिनियम, अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कानून, दुकान एवं प्रतिष्ठान वाणिज्य अधिनियम, बाल मजदूरी विरुद्ध कानून, समान काम समान वेतन कानून, अर्थात उन सभी कानूनों को समाप्त कर 4 संहिताएं पूरी तरह उद्योगपतियों व बड़े इजारेदारों के हित में बना दी हैं। 80 फीसदी कामगार सभी प्रकार के कानूनों और लाभों से वंचित कर दिए गए हैं। ट्रेड यूनियनों का संकल्प ही समाप्त कर दिया गया है। बड़े कारखानों में मालिकों को ठेकेदारों और आऊटसोर्स पर काम करने की पूरी आजादी दे दी है। सरकारी विभागों और अन्य सभी जगह निर्धारित अवधि और आऊटसोर्स सेवाओं को कानूनी रूप दे दिया है।

श्रम संहिता हुई लागू तो होगी हड़ताल

सरकार 1 अप्रैल से नई श्रम संहिताओं को लागू करने की अधिसूचना जारी कर रही है जिसका ट्रेड यूनियन विरोध करती है। एटक ने आगाह किया है कि यदि सरकार ने इसे जबरन लागू किया तो देश में अनिश्चितकालीन (काम रोको) हड़ताल की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में ट्रेड यूनियनों ने इन मजदूर व किसान विरोधी कानूनों को काला कानून बताया है।

बेरोजगारी-महंगाई पर ध्यान नहीं

जगदीश भारद्वाज ने कहा कि मोदी सरकार का न तो बेरोजगारी पर ध्यान है और न ही महंगाई पर। वह सिर्फ किसानों, मजदूरों और देश के छात्रों से लडऩा चाहती है। उन्होंने कांग्रेस से भी आग्रह किया है कि वह भी किसानों को लेकर सड़कों पर उतरे ताकि किसानों की आवाज बुलंद हो सके। ट्रेड यूनियन ने केंद्र सरकार के मजदूर, कर्मचारी और किसान विरोधी बजट की भी ङ्क्षनदा की है। इस बजट से मुद्रास्फीति, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ेगी। यह बजट किसी भी तरह से विकासोन्नमुखी नहीं है बल्कि गरीबों की रोटी छीनने वाला बजट है। इस बजट से पूंजीपति और सबल और गरीब और गरीब होकर मृत्यु की तरफ  जाएगा।

Vijay