बरसात ने दिए जख्म, अब तक नहीं लग पाया मरहम

Saturday, Jan 26, 2019 - 12:48 PM (IST)

पालमपुर : पालमपुर उपमंडल मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर न्यूगल खड्ड के किनारे बसे थला पंचायत के कई गांव बरसात में मिले जख्मों से अब भी कराह रहे हैं। इन जख्मों को भरने के लिए अभी तक धरातल पर सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है। पंचायत के रजनाली, लसरैहड़ू, उआरना व डगेहड़ गांवों के लोग बरसात के बाद से चीड़ के पेड़ों से अपने स्तर पर बनाए गए एक अस्थायी पुल से होकर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। सितम्बर, 2018 में न्यूगल खड्ड में आई बाढ़ से इन गांवों को जोडऩे वाला एकमात्र पैदल पुल बह गया था। कई दशक से तरंगड़ी के सहारे ही न्यूगल को पार कर रहे लोगों को वर्ष 2007 में कंकरीट का एक पैदल पुल तत्कालीन सरकार के सहयोग से नसीब हुआ था।

कुछ सफर की डगर आसान हुई थी, कई वर्षों से सड़क का इंतजार कर रहे इन गांवों के लोगों के लिए सौरभ वन विहार पुल के समीप से एक सड़क मार्ग भी बना है। लेकिन यह सड़क अब भी इन गांवों से करीब एक किलोमीटर दूर ही है। इन गांवों का मुख्य संपर्क पालमपुर के ङ्क्षचबलहार व ङ्क्षबद्रावन गांवों से है। यहीं से इन लोगों को नजदीक से बस सेवा मिलती है, साथ ही यहां के बच्चों के स्कूल भी बिंद्रावन में ही हैं।

हालांकि थला पंचायत को जोडऩे के लिए आईमा से होकर भी एक पैदल पुल बनाया गया है, लेकिन यह पुल भी उक्त गांवों से काफी दूरी पर है। गांव के देश राज बताते हैं कि आज यहां के लोग काले पानी की सजा भुगत रहे हैं। करीब 3-4 सौ की आबादी वाले इन गांवों के लोगों को सबसे अधिक समस्या गांव में किसी के बीमार होने और बच्चों को स्कूल भेजने में हो रही है। आज भी यहां के लोग न्यूगल में बनाई गई लकड़ी की अस्थायी तरंगड़ी और एक कूहल के डंगों के सहारे ङ्क्षचबलहार और ङ्क्षबद्रावन पहुंचते हैं। न्यूगल का एक भाग गांव की तरफ मुड़ गया है, इसे रोकने के लिए भी व्यवस्था का इंतजार है।

kirti