कृषि मंत्री ने दिए लाखों के यूजर चार्जिज घोटाले की जांच के आदेश

Wednesday, Jun 13, 2018 - 11:57 PM (IST)

शिमला: कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मार्कीटिंग बोर्ड में लाखों रुपए के कथित यूजर चार्चिज घोटाले की जयराम सरकार जांच करवाएगी। मार्कीटिंग बोर्ड ने बीते वर्ष 23 मार्च को प्रदेशभर में करीब डेढ़ दर्जन टोल बैरियर बंद किए थे जबकि टोल बैरियर से प्रदेश की 10 ए.पी.एम.सी. को हर वर्ष 7 से 10 करोड़ की कमाई होती है। टोल बैरियर बंद होने के बाद वर्ष 2017 में ए.पी.एम.सी. को मात्र 2.41 करोड़ की ही कमाई हो पाई है। अंदेशा जताया जा रहा है कि टोल बैरियर को साजिश के तहत बंद करके घोटाले को अंजाम दिया गया है। यह देखते हुए कृषि मंत्री डा. राम लाल मार्कंडेय ने इसकी जांच के निर्देश दिए हैं।


सेब पर ही लिया जाता है यूजर चार्जिज  
बता दें कि कृषि व उद्यान उपज में केवल सेब पर ही यूजर चार्जिज लिया जाता है। कुल कारोबार का एक फीसदी यूजर चार्जिज आढ़तियों, लदानियों, सेब ठेकेदारों तथा बावगानों से लिया जाता है। बीते सेब सीजन के दौरान शिमला, कुल्लू और मंडी जिला के सभी टोल बैरियर बंद कर दिए जाते हैं। सोलन के परवाणु, स्वारघाट व कंडवाल बैरियर को यूजर चार्जिज वसूली के लिए अधिकृत रखा जाता है। वर्ष 2016 में ए.पी.एम.सी. शिमला को यूजर चार्जिज से 3.20 करोड़ की आय हुई थी जबकि 2017 में मात्र 61 लाख रुपए की आय हो पाई है। शिमला जिला के टोल बैरियर बंद होने के बाद परवाणु बैरियर की आय में 5 से 6 गुना इजाफा होना था क्योंकि परवाणु बैरियर होते हुए ही शिमला, मंडी और किन्नौर जिला का ज्यादातर सेब देश की मंडियों को भेजा जाता है। वर्ष 2016 में जब प्रदेशभर में सभी बैरियर चल रहे थे तो उस दौरान ए.पी.एम.सी. सोलन की आय 59.29 लाख थी और 2017 में जब प्रदेशभर में सभी टोल बैरियर बंद कर दिए जाते हैं तो भी परवाणु बैरियर से ए.पी.एम.सी. सोलन को मात्र 78 लाख की आय होती है।


उत्पादन गिरने का बहाना भी नहीं दे सकता बोर्ड
यहां मार्कीटिंग बोर्ड सेब उत्पादन में गिरावट का भी बहाना नहीं दे सकता क्योंकि वर्ष 2016 में प्रदेश में 4.68 लाख मीट्रिक टन सेब हुआ था तो उस दौरान सभी ए.पी.एम.सी. को यूजर चार्जिज से 4.87 करोड़ की आय हुई थी, वर्ष 2017 में जब 4.46 लाख मीट्रिक टन सेब होता है तो यूजर चार्जिज से आय गिरकर 2.42 करोड़ रह जाती है। कृषि मंत्री ने बताया कि टोल बैरियर बंद करके जो गड़बडिय़ां की गई हैं, उसकी जांच करवाई जाएगी। इससे ए.पी.एम.सी. को वित्तीय हानि हुई है। करोड़ों की आय देने वाले टोल बैरियर बंद करना सही फैसला नहीं था। इसे फिर से शुरू किया जाए या नहीं, इसका फैसला मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद लिया जाएगा।


कृषि मंत्री को पसंद नहीं एम.डी. का काम, सी.एम. को भेजी ट्रांसफर फाइल
कृषि मंत्री को मार्कीटिंग बोर्ड के एम.डी. राजेंद्र वर्मा का काम पसंद नहीं आ रहा है। कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बोर्ड के एम.डी. को फिर से बदलने की सिफारिश की है। इससे पहले बीते 25 मई को भी सरकार ने राजेंद्र वर्मा को मार्कीटिंग बोर्ड से धर्मशाला में अतिरिक्त कृषि निदेशक का कार्यभार संभालने के निर्देश दिए थे लेकिन राजेंद्र वर्मा बोर्ड में सैकेंडमैंट आधार पर सेवाएं दे रहे हैं। लिहाजा उन्हें धर्मशाला के लिए ट्रांसफर नहीं किया जा सकता बल्कि अपने मूल कृषि विभाग में वापस भेजा जा सकता है।


एम.डी. को हटाने के पक्ष में नहीं हैं मुख्यमंत्री
अपनी गलती को दुरुस्त करते हुए कृषि मंत्री ने राजेंद्र वर्मा को कृषि निदेशालय, संयुक्त कृषि निदेशक को कृषि निदेशालय शिमला से धर्मशाला तथा धर्मशाला में अतिरिक्त कृषि निदेशक आर.के. कौंडल को एम.डी. मार्कीटिंग बोर्ड लगाने की सिफारिश की है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री स्वयं एम.डी. राजेंद्र वर्मा को हटाने के पक्ष में नहीं हैं। यही वजह रही कि तबादला आदेशों के 20 दिन के बाद भी राजेंद्र वर्मा अपने पद पर सेवाएं दे रहे हैं। उधर, कृषि मंत्री ने बताया कि वह बोर्ड में एम.डी. समेत बड़े स्तर पर बदलाव चाहते हैं और वह बोर्ड की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं।

Vijay