अरे ये क्या! कृषि विभाग ने किसानों की ट्रेनिंग के नाम पर धार्मिक संस्था को बांट दिए 40 लाख

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2019 - 10:54 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): कृषि विभाग ने किसानों की ट्रेनिंग के नाम पर जायका (जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजैंसी) प्रोजैक्ट से तकरीबन 40 लाखरुपए एक धार्मिक संस्था को बांटे हैं। उच्च अधिकारियों को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने धार्मिक संस्था को पैसे देने पर तुरंत रोक लगाने के निर्देश दिए और कृषि विभाग से ट्रेनिंग के नाम पर संस्था को दिए गए पैसे की रिपोर्ट तलब की है। कृषि विभाग से उन किसानों की सूची भी मांगी गई है, जिन्हें अब तक संस्था ने ट्रेनिंग दी है।

बिना टैंडर के चुनी गई धार्मिक संस्था

हैरानी इस बात की है कि किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए धार्मिक संस्था को चुना जाता है। इस पर सवाल उठने लाजिमी हैं। आमतौर पर इस तरह के काम के लिए किसी भी संस्था का चयन टैंडर के आधार पर किया जाता है लेकिन किसानों के प्रशिक्षण के लिए धार्मिक संस्था को बिना टैंडर चुना गया है। सूत्रों की मानें तो इस संस्था को तकरीबन पौने 2 करोड़ का भुगतान किया जाना था लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है। इसे लेकर जब कृषि निदेशक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।

321 करोड़ के प्रोजैक्ट से बांटा गया पैसा

जापान सरकार ने साल 2012 में 321 करोड़ का जायका फेज-1 प्रोजैक्ट मंजूर कर रखा है। इस प्रोजैक्ट के तहत प्रदेश के 5 जिलों हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, ऊना तथा कांगड़ा में लागू किया जा रहा है। इस प्रोजैक्ट की मंशा किसानों की अधिकांश उपज को सिंचाई योग्य बनाना, किसानों को फसल विविधीकरण के लिए जागरूक करना और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाना है। इस प्रोजैक्ट का मुख्यालय भी हमीरपुर में है।

कृषि विभाग का अनोखा तर्क

कृषि विभाग तर्क दे रहा है कि प्रोजैक्ट डॉक्यूमैंट में राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात किसी संस्था को ट्रेनिंग के लिए चयनित करने का प्रावधान है। इसे देखते हुए कृषि विभाग ने तकरीबन डेढ़ साल पहले धार्मिक संस्था के साथ एमओयू साइन किया।

क्या बोले जायका प्रोजैक्ट के नोडल ऑफिसर

जायका प्रोजैक्ट के नोडल ऑफिसर डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग ने प्रोजैक्ट डॉक्यूमैंट के हिसाब से किसानों के प्रशिक्षण के लिए संस्था का चयन किया है। संस्था के तकनीकी अधिकारी किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। हमारे पास स्टाफ की कमी है, इसलिए विभाग स्वयं ज्यादा संख्या में किसानों को ट्रेनिंग नहीं दे पा रहा है।


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Vijay

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