प्रशासन ने छीनी 27 दुकानदारों की रोजी-रोटी, जाने क्या है वजह

Saturday, Dec 02, 2017 - 02:10 PM (IST)

मंडी: कीरतपुर-मनाली फोरलेन की जद में आने वाली औट कस्बे की केशव-माधव मार्कीट को खाली करवाने के लिए एन.एच.ए.आई. ने दुकानदारों को अवैध कब्जाधारक करार दिया है जबकि जिन दुकानों में आजकल स्थानीय लोग कारोबार कर रहे हैं, वे जिला प्रशासन ने स्वयं राजस्व व वन भूमि पर कब्जा करके तैयार करके दी हैं। अब फोरलेन निर्माण की आड़ में इन दुकानों को बिना मुआवजा दिए व पुनर्वास किए खाली करवाया जा रहा है जिसके लिए एन.एच.ए.आई. ने दुकानदारों को अवैध कब्जा खाली करने के नोटिस थमाए हैं जबकि दुकानों का असली मालिक जिला प्रशासन है और जिला प्रशासन की ओर से डी.सी. ने कोई नोटिस दुकानदारों को नहीं दिए हैं।

दुकानों में पड़े लाखों के सामान का क्या करें
केशव-माधव मार्कीट एसोसिएशन के प्रवक्ता गुलाब महंत ने बताया कि प्रशासन के इस कदम से 27 दुकानदारों की रोजी-रोटी चली गई है जबकि दुकानों में उनका लाखों रुपए का सामान पड़ा हुआ है, उसे लेकर हम कहां जाएंगे। ऊपर से उन्हें किसी भी तरह का न तो मुआवजा दिया जा रहा है और न ही उनका पुनर्वास किया जा रहा है। ऐसे में उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस मामले को लेकर दुकानदारों ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है।

कहां गया भू-अधिग्रहण कानून का नियम
एन.एच.ए.आई. की ओर से दिए गए अल्टीमेटम के खिलाफ किराया देने वाले दुकानदार राहत के लिए हाईकोर्ट भी गए लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा मिली जबकि भू-अधिग्रहण कानून में प्रावधान है कि एन.एच.ए.आई. के फोरलेन प्रोजैक्ट में कोई भी प्रभावित होता है तो उसे आजीविका छिनने पर मुआवजा दिया जाए व उसका पुनर्वास किया जाए लेकिन यहां जद में आने वाले 32 दुकानदारों को न तो मुआवजा दिया जा रहा है और न इनके पुनर्वास की बात हो रही है बल्कि उलटे किराएदारों को अवैध कब्जाधारक बताकर उन्हें जबरन उठाया जा रहा है जबकि दुकानों का असली मालिक जिला प्रशासन है जिसने पिछले 27 वर्षों से करोड़ों रुपए किराए के रूप में वसूले हैं।