टिहरी रोड पर गंदगी का आलम, जगह-जगह पड़े हैं पशुओं के अवशेष (Video)

Saturday, Nov 02, 2019 - 09:43 PM (IST)

ज्वालामुखी (पंकज शर्मा): देश के प्रधानमंत्री ने भले ही पूरे देश में सफाई की अलख जगाई है लेकिन ज्वालामुखी प्रशासन इस अभियान के प्रति बिल्कुल गंभीर नहीं है। ऐसा ही आजकल ज्वालाजी से टिहरी रोड़ तक जगह-जगह मरे पड़े पशुओं के अवशेषों की दयनीय स्थिति को देखकर लग रहा है। इस स्थान पर मरे हुए पशुओं की हड्डियों एवं चमड़े के ढेर से चारो ओर गंदगी का आलम है। ऐसा नहीं है कि इस बात की शिकायत प्रशासन से नहीं की गयी है बल्कि यहां के उपमंडलदंडाधिकारी से लेकर स्थानीय नगर परिषद व वन विभाग के आला अफसरों तक इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन वे कारवाई करने से परहेज कर रहे हैं। 

हालांकि वन विभाग का दावा है कि यहां दूर दराज के क्षेत्रों से आ रही गाड़ियों में लाए जाने वाले मृत पशुओं को लेकर वह गंभीर है और इस तरह का मामला सामने आए तो वह कड़ी कार्रवाई अमल में लाते हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां पर गंदगी फैलाने वाले लोग पशुओं की मृत देह से कई प्रकार के व्यापारिक कार्यों को अंजाम देते हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि अपना काम पूरा होने पर पशुओं को मिट्टी में दफन नहीं करते हैं। यहां पर फैली गंदगी से पूरा वातावरण प्रदुषण की चपेट में है। लोगों को अब गंभीर बीमारियों के फैलने का अंदेशा हो गया है।

राजनीतिक दबाव एवं प्रशासनिक दबाव को सहन नहीं किया जाएगा : रमजान

सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार एवं भारत सरकार के अधिवक्ता रमजान खान का आरोप है कि टिहरी के जंगल मे जगह-जगह पशुओं के अवशेष फेंके जा रहे हैं, जिससे यहां चारों ओर गंदगी का आलम है। यही नहीं यहां साथ में लोगों को पीने के लिए सप्लाई जाने बाली योजना भी है जिसके प्रदूषित होने का खतरा यहां बना हुआ है। क्योंकि पशुओं को नोच कर खाने के बाद गिद्द जगह-जगह गंदगी फेंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव एवं प्रशासनिक दबाव को सहन नहीं किया जाएगा क्योंकि प्रशासन को पिछले 2 वर्षों से लगातार इसकी शिकायतें की जा रही है।

हिमाचल प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर जंगल है और इन्हें किसी भी प्रकार से प्रदूषित नहीं करने दिया जाएगा परंतु यदि उचित हल नहीं हुआ तो न्याय का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा और जो भी लोग चाहे वह राजनीतिक हो या प्रशासनिक हो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय पंचायत के प्रतिनिधियों ने भी यहां पर पशुओं को फैंकने से मना किया है। उनका कहना है कि अगर प्रशासनिक स्तर पर इस समस्या का हल नहीं खोजा गया तो आने वाले समय यहां पर गंभीर आंदोलन भी लोग छेड़ सकते हैं।

गंदगी से पैदा हो रहे कई खतरे

ज्वालाजी के समीप गांव जिन्हें कई प्रकार सांस्कृतिक खतरे पैदा हो गये हैं। एक ओर जहां  पशुओं के लिए घास लोगों को परेशानी आ रही हैं वही दूसरी ओर यहां के धार्मिक स्थलों को भी खतरा पैदा हो गया है। इस स्थान में घास वाली जगहों पर मृत पशुओं के अवशेषों के फैंकने से भारी गंदगी फैल गयी हैं। अब पशुओं को पालने वाले लोग घास चराने नहीं जा पा रहे। वहीं यहां पर एक 300 मीटर की दूरी पर पीर बाबा का मंदिर है। तथा कुछ ही दूरी पर नाग मंदिर भी है जिसमें कि वर्ष में दो बार भंडारे का आयोजन किया जाता है इसमें की हजारों लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है, ऐसे में यहां पर चील कौवों के झुंड लोगों की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचा रहे है।
 

Edited By

Simpy Khanna