यहां 5 घंटे दर्द से तड़पती रही महिला, नहीं मिला उपचार

Friday, Jan 26, 2018 - 10:21 AM (IST)

सोलन : क्षेत्रीय अस्पताल सोलन एक बार फिर आरोपों के घेरे में आ गया है। इस बार अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के कारण गर्भवती महिला की जान सांसत में पड़ गई। महिला 5 घंटे तक अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़पती रही लेकिन उसे कोई इलाज नहीं मिला। अस्पताल के कर्मचारियों ने जब महिला की हालत को बिगड़ते देखा तो शाम 5 बजे शिमला के लिए रैफर किया। बाद में आई.आर.डी.पी. परिवार से संबंधित महिला को सोलन के निजी अस्पताल में सिजेरियन करवाना पड़ा। महिला व उसके परिजनों का आरोप है कि वह 5 घंटे तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही। पीड़िता शमलेच निवासी निशा व उसकी ननद बीना ने बताया कि बुधवार को सुबह उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो करीब 12 बजे वह अस्पताल पहुंचे।

महिला को मजबूरी में निजी अस्पताल में भर्ती करवाया
उसके बाद निशा को यहां नॄसग स्टाफ ने इंजैक्शन लगाया व उन्हें बताया कि चिकित्सक बैठक में हैं व बाद में आएंगे। चिकित्सक शाम तक महिला की जांच करने नहीं पहुंचे। उधर, महिला की हालत बिगड़ती जा रही थी और उसे कोई इलाज भी नहीं मिल रहा था। महिला की हालत बिगड़ते देख अस्पताल प्रशासन ने उसे आनन-फानन में शिमला रैफर कर दिया। परिजनों ने महिला की जान बचाने के लिए मजबूरी में निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया। निजी अस्पताल में चिकित्सकों ने तुरंत महिला का आप्रेशन किया।

बिल चुकाने के लिए पैसा नहीं
पीड़िता के पिता केवल राम ने बताया कि मजबूरी में उसकी बेटी की निजी अस्पताल में सिजेरियन से डिलीवरी करवाई गई। आई.आर.डी.पी. परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस परिवार के पास निजी अस्पताल का बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं हंै। इलाज पर अभी तक करीब 28,000 रुपए खर्च हो गए हैं और उनका दामाद तीर्थ राम पैसों का प्रबंध करने में लगा हुआ है।

बच्चे की धड़कन कम होती जा रही थी
निजी अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार बच्चे ने पेट में ही पौटी कर दी थी, जिसके कारण जच्चा-बच्चा की हालत नाजुक बन गई थी। बच्चे की धड़कन भी कम होती जा रही थी।

समय रहते क्यों रैफर नहीं किया
तीर्थ राम, बीना व पीड़ित महिला निशा का कहना है कि क्षेत्रीय अस्पताल की लापरवाही के कारण उनकी जान सांसत में पड़ गई थी। जब अस्पताल में चिकित्सक ही नहीं थे तो क्यों उन्हें समय रहते रैफर नहीं किया गया। लापरवाही बरतने वाले स्टाफ पर कार्रवाई होनी चाहिए। वह आई.आर.डी.पी. परिवार से संबंध रखते हैं व निजी अस्पताल का खर्च उठाने में असमर्थ हैं, ऐसे में प्रशासन द्वारा मदद उपलब्ध करवाई जाए।