एक ऐसा गांव जहां सच-झूठ के फैसले भी हो रहे

Monday, Apr 22, 2019 - 03:09 PM (IST)

कुल्लू (ब्यूरो): विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र के लिए विख्यात मलाणा गांव भारत के लोकतंत्र की मजबूती के लिए 19 मई को ई.वी.एम. का बटन दबाएगा। मलाणा गांव ने विश्व का लोकतंत्र से साक्षात्कार करवाया है। इस गांव में आज भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के पुराने प्रमाण विद्यमान हैं और इन्हीं के अनुसार आज भी कार्य चल रहा है। इस गांव में सच-झूठ के फैसले भी हो रहे हैं और इसके लिए बाकायदा दोनों सदनों के सदस्य बैठकर निर्णय ले रहे हैं। गांव में ज्येष्ठांग और कनिष्ठांग व्यवस्था का प्रावधान है। इसी व्यवस्था को भारतीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में अप्पर हाऊस व लोअर हाऊस अर्थात राज्यसभा व लोकसभा के नाम से जाना जाता है। करीब 1,000 से अधिक मतदाताओं वाले इस गांव में लोग भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान कर महापर्व में भागीदारी निभाएंगे।

हर कार्य के लिए देव आदेश मान्य

मलाणा गांव के लोग देवता जमलू के आदेशानुसार तमाम फैसले लेते हैं। गांव के हर कार्य के लिए देव आदेश मान्य होता है। अकबर भी देवता की शक्ति से प्रभावित होकर देवता को मानने लगा था। अकबर ने दिल्ली से भेंट के तौर पर एक सिक्का देवता जमलू को भेजा था। मलाणा वासियों के पूर्वजों के संदर्भ में माना जाता है कि वे सिकंदर महान के सैनिक थे। उन्होंने देवता जमलू को अपना आराध्य माना और उन्हीं के आदेशों का अनुसरण करने लगे। मलाणा की प्राचीनतम लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत फैसलों के लिए पहले देवता जमलू से अनुमति ली जाती है और उसके बाद देवता की मौजूदगी में ही निर्णय होते हैं।

वैशाली इतिहास मलाणा वर्तमान

वैसे बिहार राज्य में स्थापित वैशाली इलाके को लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला भूखंड माना जाता है। हालांकि वर्तमान में वैशाली का वजूद नहीं है और न ही वहां प्राचीनतम लोकतंत्र की व्यवस्था आज कायम है। मलाणा एक ऐसा गांव है, जहां अपनी व्यवस्था है और इसमें प्राचीनतम लोकतंत्र की तमाम व्यवस्थाओं का समावेश है। मलाणा में यह व्यवस्था सदियों से अनवरत चली आ रही है और आज भी मौजूद है।

Ekta