एक ऐसा गांव जहां न बच्चे पढ़ पाते हैं, राशन भी पीठ पर ही लाते हैं

Tuesday, Sep 04, 2018 - 02:50 PM (IST)

पांगी: पांगी घाटी के पुंटो गांव के लिए पुल बनाने के 8 महीने बाद पुल के पार गांव की तरफ  मात्र 100 मीटर ही सड़क बन पाई है। लगभग 600 की आबादी वाले पुंटो गांव के लिए यहां ब्लास्टिंग से चट्टान तो तोड़ रखी है लेकिन पत्थर नहीं हटाए गए हैं, जिस कारण लोगों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह गांव तहसील मुख्यालय किलाड़ से मात्र 5 किलोमीटर दूर है। किलाड़ कॉलेज में पढऩे आने वाले विद्यार्थियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बच्चे तो पढ़ाई छोडऩे को मजबूर हो गए हैं। लोगों का कहना है कि इस मामले को लेकर कई बार विभाग से भी बात की गई तो विभाग ठेकेदार को दोषी और ठेकेदार विभाग को दोषी ठहराता है। करेल पंचायत के पुंटो गांव के उपप्रधान नरेंद्र ठाकुर कहते हैं कि यह सारी कमी सरकार व लो.नि.वि. की है। विभाग ठेकेदार पर दबाव नहीं डाल रहा जिस कारण काम मनमर्जी से हो रहा है।

2017 में वीरभद्र सिंह ने ऑनलाइन किया था पुल का उद्घाटन
पुंटो गांव के लिए 2017 में पुल का निर्माण किया गया था जिसका उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ऑनलाइन किया था। मौजूदा समय में बस पुल के पास तक जाती है लेकिन गांव तक नहीं पहुंच पाती है। 21वीं सदी में लोगों को राशन पीठ पर उठा कर ले जाना पड़ता है। सड़क न होने के कारण पुंटो में बनाए गए डिपो स्टोर तक राशन भी नहीं पहुंच पा रहा हैै। स्थानीय निवासी अशोक ठाकुर, पृथी सिंह, उदय धर्माणी, इंदिरा कुमारी, महिला मंडल प्रधान सुनीता ठाकुर, लीला देवी, सुनीता कुमारी, मनोज कुमार, पवन कुमार और बोध राज ने बताया कि आज भी गांव के लोग आदिवासियों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

Vijay