8 फार्मेसियों के लाइसैंस एक्सपायर्ड, जानिए क्या है वजह

Thursday, Sep 20, 2018 - 12:15 PM (IST)

शिमला (जस्टा): आयुर्वेद विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा औषध नियंत्रण प्रक्रिया को सुदृढ़ एवं दवाइयों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए फार्मेसियों और जी.एम.पी. का औचक निरीक्षक किया गया। अधिकारियों द्वारा गठित की गई टीम के सदस्यों ने निरीक्षण के दौरान पाया कि 61 फार्मेसियों में से 8 के पास लाइसैंस नहीं थे। वहीं 21 फार्मेसियों के पास अग्निशमन का अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला। इसके अलावा 10 फार्मेसियों के पास पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की स्वीकृत नहीं थी और साथ ही 15 फार्मेसियां ऐसी पाई गईं, जिनके पास फार्मेसी में पैदा होने वाले कचरे के निस्तारण का समझौता प्रमाण पत्र नहीं था और 13 ऐसी फार्मेसियां थीं, जिनके पास वजन व माप-तोल के लिए रखी गई मशीनों का अधिकृत प्रमाण पत्र नहीं था। 

निदेशक आयुर्वेद एवं लाइसैंस अधिकारी संजीव भटनागर (आई.ए.एस.) ने कहा कि औचक निरीक्षण जी.एम.पी. मानकों पर किया गया, जिसमें से जी.एम.पी. मानकों पर अपूर्ण पाई जाने वाली उक्त फार्मेसियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी, ताकि प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाली आयुर्वैदिक दवाइयों का उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके तथा निम्र गुणवत्ता वाली दवाइयों के उत्पादन पर अंकुश लगाया जा सके। इस प्रकार का प्रशिक्षण औषध निरीक्षकों को नियमित रूप से दिया जाएगा तथा इस प्रकार की मुहिम से भविष्य में भी आयुर्वेदिक दवाइयों की औषध गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित किया जाएगा। 

उनका कहना है कि विभाग अच्छी किस्म की औषध की गुणवत्ता को अपनाने में वचनबद्ध है, ताकि इन औषधियों का प्रयोग करने वाले आम आदमियों को उच्च गुणवत्ता वाली औषधियां उपलब्ध करवाई जा सकें। इसके लिए विभाग शीघ्र इन 18 निरीक्षकों से औषध की गुणवत्ता एवं नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए खुले बाजार एवं आयुर्वेद फार्मेसियों से औषध नमूनों की जांच करवाई जाएगी। उपनिदेशकों एवं जिला आयुर्वैदिक अधिकारियों की अगुवाई में निरीक्षण के लिए 10 टीमें गठित की गई थीं। 

Ekta