70 साल बाद भी पहाड़ नहीं चढ़ी उम्मीदों की रेल

Monday, Apr 29, 2019 - 10:54 AM (IST)

पालमपुर/धर्मशाला (मुनीष दीक्षित/सौरभ सूद): आजादी के 7 दशक बाद भी पहाड़ी प्रदेश में रेल विस्तार महज दावों तक ही सीमित है। आज भी पूरी तरह सड़क कनैक्टीविटी पर निर्भर प्रदेश में रेल कनैक्टीविटी बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास ही नहीं हुए हैं। हर लोकसभा चुनाव में रेल विस्तार का मुद्दा उठता है, नेता जनता को उम्मीदों के सब्जबाग दिखाते हैं लेकिन हर बार आम जनता की उम्मीदें टूट जाती हैं। सूबे की सरकार और सांसद दिल्ली जाकर लंबित रेल प्रोजैक्टों का मसला कई बार उठाते रहे हैं लेकिन छोटा प्रदेश होने के चलते उनकी आवाज दबी रह जाती है। देवभूमि में केवल पंजाब के साथ सटे ऊना जिले में ही रेल नैटवर्क आगे बढ़ सका है जबकि अन्य जिलों में बड़ा रेल नैटवर्क अब भी सपना है। 

अंग्रेजों के समय निर्मित कालका-शिमला तथा पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज रेलमार्ग 70 सालों में एक इंच आगे नहीं बढ़े हैं। सूबे के औद्योगिक क्षेत्रों बद्दी-बरोटीवाला, नालागढ़ और पांवटा साहिब को रेल लाइन से जोडऩे वाली परियोजना अभी तक कागजों में ही है। इनके सर्वे के लिए 95 करोड़ रुपए जारी किए गए लेकिन उससे आगे कोई काम नहीं हुआ। करीब 498 किलोमीटर लंबी बिलासपुर-मनाली-लेह रेल परियोजना का 160 करोड़ रुपए की लागत से सर्वेक्षण होना है। रेलवे स्टेशनों से लेकर सुरंग व सबसे ऊंचे स्टेशन तक का नाम तय हो गया है मगर धरातल पर काम नजर नहीं आ रहा है। 6 जून 2016 को प्रदेश में आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय हाईवे को फोरलेन करने की घोषणा कर पालमपुर में इसका शिलान्यास किया था। 3 साल बाद भी न फोरलेन का काम शुरू हुआ और न ही रेलवे ओवरब्रिज बने।

सर्वे के दावे हकीकत से दूर

कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद शांता कुमार ने 5 मार्च 2015 को कहा था कि उन्होंने मंडी के सांसद रामस्वरूप के साथ रेल मंत्री से मिलकर पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेललाइन को ब्रॉडगेज करने की सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान करवा दी है। इसकेतीसरे सर्वे के लिए साढ़े 4 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है लेकिन आज तक धरातल पर कुछ नहीं हुआ। फिर 20 अप्रैल 2016 को पठानकोट-जोङ्क्षगद्रनगर नैरोगेज रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज में बदलकर इसका लेह तक वाया मंडी-मनाली विस्तार करने के प्रोजैक्ट को लेकर कांग्रेस सरकार ने अपना सहमति पत्र तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को भेजा था लेकिन इस मसले पर भी आगे कुछ नहीं हुआ।

2 दिसम्बर 2018 को रेल मार्ग के हवाई सर्वे के बाद धर्मशाला पहुंचे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस रेल मार्ग को ब्रॉडगेज करने की बात पर विराम लगाते हुए कहा था कि इस ट्रैक को इसकी खूबसूरती के हिसाब से नैरोगेज ही रखा जाएगा व इसी स्वरूप में इसका विकास किया जाएगा। फिर 7 दिसम्बर 2018 को सांसद शांता कुमार ने कहा कि पठानकोट से लेह रेलवे ट्रैक को वाया मंडी और मनाली होकर बनाया जाएगा। पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़ नहीं होगी व इसे हैरिटेज बनाया जाएगा। पठानकोट-लेह ट्रैक से धर्मशाला, पालमपुर और रूट पर आने वाली अन्य सैन्य छावनियों को जोड़ा जाएगा। इस बाबत भी अभी तक कोई सर्वे नहीं हुआ है।

 

Ekta