60 हजार के कर्ज तले दबा है हिमाचल का हर व्यक्ति, 2022 तक सुखद भविष्य की परिकल्पना

Monday, Dec 04, 2017 - 10:17 AM (IST)

शिमला: साल दर साल कर्ज के मायाजाल में उलझी आर्थिकी के बावजूद कांग्रेस-भाजपा ने वर्ष 2022 तक स्वर्णिम हिमाचल की परिकल्पना की है। कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने मौजूदा कार्यकाल के अंतिम बजट भाषण में इसका उल्लेख किया था तो भाजपा ने स्पष्ट तौर पर विधानसभा चुनाव से पहले लाए गए अपने विजन डॉक्यूमैंट में इसका उल्लेख किया है। बड़े राज्यों की श्रेणी में शिक्षा, अधोसंरचना और समावेशी विकास में अव्वल रहने वाले हिमाचल प्रदेश के लिए ऐसा कर पाना असंभव नहीं है लेकिन लगातार बढ़ रहा कर्ज सुखद भविष्य की राह में रोड़ा बनता जा रहा है। वर्ष 2011-12 के दौरान प्रति व्यक्ति ऋण जो 40,904 रुपए था, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 57,642 रुपए तक पहुंच गया था। मौजूदा समय में प्रति व्यक्ति कर्ज करीब 60,000 रुपए तक पहुंच गया है। बीते 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। इसके अनुसार 7 साल के भीतर 62 फीसदी ऋण का भुगतान करना होगा, जो सुखद संकेत नहीं है।


कांग्रेस कैसे साकार करेगी सपना
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्तमान सरकार के अपने बजट भाषण में कहा था कि राज्य ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए परिप्रेक्ष्य योजना (परस्पैक्टिव प्लॉन) द्वारा हिमाचल की प्रगति की कल्पना की थी। इन लक्ष्यों को वर्ष 2030 की अपेक्षा वर्ष 2022 में ही प्राप्त करने का दावा किया गया है। इसके तहत राज्य को स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, ढांचागत और संतुलित विकास में अग्रणी बनाना है। कांग्रेस की तरफ से इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र को जारी किया गया है, जिसमें आगामी 5 साल में डेढ़ लाख युवाओं को रोजगार देने, अनुबंध कर्मचारियों को 2 साल के बाद नियमित करने, मजदूरों की दैनिक दिहाड़ी 210 रुपए से बढ़ाकर 350 रुपए करने, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में सुनियोजित विकास करने, बेरोजगारी भत्ते को 1,000 रुपए से बढ़ाकर 1,500 रुपए करना, पैंशनर्ज को 5-10-15 फीसदी का वित्तीय लाभ देने और 50 हजार मेधावी छात्रों को एक जी.बी. डाटा के साथ लैपटॉप देने सहित अन्य वायदे किए गए हैं। 


भाजपा ने विजन डॉक्यूमैंट को बनाया आधार
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले तैयार किए गए विजन डॉक्यूमैंट को हिमाचल प्रदेश के स्वर्णिम भविष्य का आधार बनाया है। पार्टी का तर्क है कि हिमाचल प्रदेश के लिए वर्ष 2022 में स्वर्णिम अवसर होगा। भाजपा ने इसे स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र का नाम दिया है। पार्टी ने होशियार हैल्पलाइन के माध्यम से वन माफिया, शराब माफिया, ड्रग्स माफिया व असामाजिक तत्वों के खिलाफ शिकंजा कसने का दावा किया है। इसमें किसान-बागवानों की आय को दोगुना करने, मजदूरों की न्यूनतम दिहाड़ी में बढ़ौतरी करने, 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी बुजुर्गों को आय सीमा खत्म करके पैंशन देने व सभी बुजुर्गों को नि:शुल्क में 4 धाम यात्रा करवाने का वायदा किया है। इसी तरह दुर्गम क्षेत्रों में हैली-एम्बुलैंस सेवा शुरू करने, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नौकरी में इंटरव्यू खत्म करने और शत-प्रतिशत साक्षरता के साथ किसान-बागवानों के हितों का ध्यान रखने व पर्यटन विकास पर ध्यान देने का वायदा किया है। सरकार ने ग्रामीण एवं शहरी विकास पर ध्यान देने की बात कही है ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ गांव में बैठे अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके।


कांग्रेस ने हिमाचल को कर्ज में डुबोया: सत्ती
हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश को कर्ज में डुबोने के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में रिटायर और हारे हुए नेताओं पर मेहरबानी दिखाई। प्रदेश में विकास कार्य के लिए सरकार धन खर्च नहीं कर पाई। यहां तक कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत मिलने वाले धन का भी सही प्रयोग नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि केंद्र में जब भी भाजपा सरकार सत्ता में आई है, तब हिमाचल प्रदेश को उदार वित्तीय मदद मिली है। उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता में आने पर अपने विजन डॉक्यूमैंट के आधार पर काम करेगी और प्रदेश में विकास की गति को तेज किया जाएगा। 


केंद्र प्रायोजित योजनाओं में कटौती: चौहान 
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी नरेश चौहान का आरोप है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता उदार वित्तीय मदद का हवाला तो दे रहे हैं, लेकिन मनरेगा जैसी योजनाओं में कट लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने बलबूते प्रदेश में विकास की गति को तेज किया है तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को उदार वित्तीय मदद मिले, तो उसे कर्ज लेने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं, जिसके आधार पर राज्य को विशेष अधिमान दिया जाना चाहिए।